भैरव जयंती, मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है।
मंदिरों में प्रातः काल से काल भैरव देव की पूजा-अर्चना होती है।
कठिन साधना काल भैरव की पूजा निशा काल में होती है, तंत्र सीखने वालों के लिए।
काल भैरव देव की पूजा से साधक को सभी संकटों से मुक्ति मिलती है।
पूजा से साथ ही घर में सुख, समृद्धि और खुशहाली आती है।
जीवन में दुख से निजात पाने के लिए करें भैरव चालीसा का पाठ।
पूजा के समय भैरव चालीसा और उनकी आरती करें।