हरमनप्रीत कौर की टीम की जीत में अमोल मजूमदार का योगदान
भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने हाल ही में महिला वनडे विश्व कप जीतकर इतिहास रच दिया। इस सफलता के पीछे मुख्य कोच अमोल मजूमदार का महत्वपूर्ण योगदान रहा। उन्होंने टीम को कठिन समय में संभाला और खिलाड़ियों के बीच विश्वास का माहौल बनाया। हरमनप्रीत कौर की कप्तानी में टीम ने एकजुटता दिखाई, जिससे यह जीत संभव हो सकी। मजूमदार की कहानी भी प्रेरणादायक है, जो उनके क्रिकेट करियर और कोचिंग के अनुभवों को दर्शाती है।
| Nov 3, 2025, 15:12 IST
महिला वनडे विश्व कप की ऐतिहासिक जीत
रविवार को जब हरमनप्रीत कौर और उनकी टीम ने महिला वनडे विश्व कप का खिताब जीता, तो पूरे दल में खुशी की लहर दौड़ गई। शेफाली वर्मा, दीप्ति शर्मा, स्मृति मंधाना, और जेमिमा रोड्रिग्स जैसे खिलाड़ियों को इस सफलता का मुख्य श्रेय दिया गया। लेकिन इस जीत के पीछे एक और महत्वपूर्ण व्यक्ति थे, जिनकी आंखों में खुशी के आंसू थे, वह थे टीम के मुख्य कोच, अमोल अनिल मजूमदार।
अमोल मजूमदार का जन्मदिन और विश्व कप जीत
अपने 51वें जन्मदिन से एक हफ्ता पहले, भारतीय महिला टीम के मुख्य कोच के लिए इससे बेहतर उपहार और क्या हो सकता था। अक्टूबर 2023 में कार्यभार संभालने के बाद से, मजूमदार की नजरें घरेलू विश्व कप पर थीं। चौदह साल पहले, उन्होंने अपने करीबी दोस्तों, जिनमें सचिन तेंदुलकर भी शामिल थे, को मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में 50 ओवरों का विश्व कप उठाते देखा था। हालांकि, उन्होंने खुद कभी राष्ट्रीय टीम के लिए खेलने का मौका नहीं पाया। यह विश्व कप जीत, निश्चित रूप से, उनकी निराशा को कुछ हद तक कम करेगी।
टीम की कठिनाइयाँ और मजूमदार का नेतृत्व
मजूमदार ने भारतीय महिला टीम को कठिन समय में संभाला। पिछले पांच वर्षों में, रमेश पोवार, डब्ल्यूवी रमन और फिर पोवार ने टीम की कमान संभाली थी। रमन के नेतृत्व में टीम ने 2020 में ऑस्ट्रेलिया में टी20 विश्व कप के फाइनल में जगह बनाई, लेकिन इसके अलावा, टीम के लिए यह समय निराशाजनक रहा। मजूमदार की नियुक्ति से पहले, भारत के पास कोई पूर्णकालिक मुख्य कोच नहीं था।
मजूमदार का क्रिकेट करियर
घरेलू क्रिकेट में 20 सत्र और 11000 से अधिक प्रथम श्रेणी रन बनाने के बावजूद, भारत की जर्सी पहनने का उनका सपना अधूरा रहा। बतौर खिलाड़ी कई बार दिल टूटा, लेकिन इस जीत ने उनके सफर को पूरा किया। कप्तान हरमनप्रीत कौर ने जीत के बाद मजूमदार के पैर छूकर उन्हें गले लगाया, जिससे हर क्रिकेट प्रेमी की आंखों में आंसू आ गए। मजूमदार की कहानी शाहरूख खान की फिल्म ‘चक दे इंडिया’ के कोच कबीर खान की याद दिलाती है।
मजूमदार का दृष्टिकोण और टीम का प्रदर्शन
फाइनल जीतने के बाद, मजूमदार ने कहा, 'मैंने खिलाड़ियों से कहा कि हम हार नहीं रहे हैं, बस उस बाधा को पार करने में चूक रहे हैं।' उन्होंने हमेशा इस विश्व कप पर ध्यान केंद्रित किया, जबकि भारतीय महिला क्रिकेट कठिन दौर से गुजर रहा था। खिलाड़ियों में प्रतिभा की कमी नहीं थी, लेकिन परिणाम नहीं मिल रहे थे।
टीम का एकजुटता और मजूमदार का कोचिंग स्टाइल
मजूमदार ने अपनी टीम का विश्वास जीता और सभी खिलाड़ियों से स्पष्ट संवाद रखा। उन्होंने अच्छे प्रदर्शन पर पीठ थपथपाई और बुरे दौर में साथ खड़े रहे। उनकी कोचिंग में टीम ने एकजुटता दिखाई और एक चैम्पियन टीम बनने के लिए यह पहली शर्त थी।
मजूमदार का क्रिकेट सफर
मजूमदार ने 1993-94 रणजी सत्र में पदार्पण किया और हरियाणा के खिलाफ 260 रन बनाकर प्रथम श्रेणी क्रिकेट में पदार्पण पर सबसे बड़ी पारी का विश्व रिकॉर्ड बनाया। उन्होंने मुंबई टीम के मुख्य कोच के रूप में भी कार्य किया और कई अन्य टीमों के साथ भी जुड़े रहे।
