हरमनप्रीत कौर का ऐतिहासिक पल: वर्ल्ड कप बॉल जेब में रखने की कहानी

भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने हाल ही में वर्ल्ड कप जीतने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की, जहां कप्तान हरमनप्रीत कौर ने एक दिलचस्प सवाल का जवाब दिया। उन्होंने बताया कि उन्होंने मैच बॉल अपनी जेब में क्यों रखी थी, जो उनके लिए वर्षों की मेहनत का प्रतीक है। यह पल भारतीय क्रिकेट के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जो 1983 से लेकर 2025 तक की यात्रा को दर्शाता है। जानें इस ऐतिहासिक जीत और हरमनप्रीत के भावुक पल के बारे में।
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हरमनप्रीत कौर का ऐतिहासिक पल: वर्ल्ड कप बॉल जेब में रखने की कहानी

भारतीय महिला क्रिकेट टीम की गर्व भरी जीत

जब भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने वर्ल्ड कप जीतने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की, तो वहां का माहौल गर्व और खुशी से भरा हुआ था। इस अवसर पर पीएम ने कप्तान हरमनप्रीत कौर से एक दिलचस्प सवाल पूछा, 'आपने वह मैच बॉल अपनी जेब में क्यों रखी थी? क्या यह किसी सोच का परिणाम था या किसी ने आपको बताया था?'


हरमनप्रीत ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया, 'नहीं सर, यह भगवान का ही प्लान था। ऐसा नहीं था कि अंतिम गेंद पर अंतिम कैच मेरे पास आएगा, लेकिन वह गेंद मेरे पास आई। यह मेरे वर्षों की मेहनत का फल है, और अब यह मेरे पास है, तो यह मेरे पास ही रहेगी। अभी भी यह मेरे बैग में है।'


लगभग 42 साल पहले, सुनील गावस्कर ने 1983 में भारत की पहली वर्ल्ड कप जीत के बाद मैच बॉल अपनी जेब में रखी थी। अब, 2025 में, हरमनप्रीत ने अनजाने में वही पल दोहरा दिया, इस बार मुंबई के डीवाई पाटिल स्टेडियम में।


दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ फाइनल में, जब दीप्ति शर्मा की गेंद पर नादिन डीक्लर्क ने कवर की ओर शॉट खेला, तो हरमनप्रीत ने दौड़ते हुए कैच पकड़ा और भारत के लिए पहला महिला वनडे वर्ल्ड कप खिताब अपने नाम किया। जश्न के बीच, उन्होंने चुपचाप गेंद को अपनी जेब में रख लिया, जो उस ऐतिहासिक रात की अमर निशानी बन गई।


हरमनप्रीत की कप्तानी फाइनल में शानदार रही। उन्होंने शेफाली वर्मा को गेंद सौंपी, जो आमतौर पर ओडीआई में कम गेंदबाजी करती हैं, और यही दांव मैच का रुख बदल गया। शेफाली ने सून लूस और मरीजाने कैप को आउट कर भारत को नियंत्रण में लाया।


दीप्ति शर्मा की पांच विकेट और शेफाली के 87 रन ने भारत को इस ऐतिहासिक जीत दिलाई।


हरमनप्रीत का यह भावुक पल भारतीय क्रिकेट की यात्रा को 1983 के लॉर्ड्स से 2025 के डीवाई पाटिल तक जोड़ता है, जो अब महिला खिलाड़ियों के स्वर्ण अध्याय के रूप में दर्ज हो चुका है.