स्कूली छात्रों की खोज: हंस के मल से बनी नई कैंसर-रोधी दवा

अमेरिका में अद्वितीय खोज
अमेरिका में एक अनोखी खोज ने सबको चौंका दिया है, जब कुछ मिडिल स्कूल के छात्रों ने हंस के मल में एक नई यौगिक की पहचान की, जो मानव मेलनोमा और अंडकोष के कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को रोकने में सक्षम है। यह खोज छात्रों द्वारा पर्यावरणीय नमूने एकत्र करते समय हुई, जब उन्होंने प्राकृतिक स्रोतों से एंटीबायोटिक निकालने के लिए अध्ययन किया।
छात्रों की मेहनत और मार्गदर्शन
यह घटना शिकागो के जेम्स आर जॉर्डन बॉयज एंड गर्ल्स क्लब के छात्रों द्वारा की गई थी, जो विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं और प्रोफेसर ब्रायन मर्फी के मार्गदर्शन में काम कर रहे थे। ये छात्र विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) कार्यक्रम का हिस्सा थे, जिसमें उन्हें बायोमेडिकल साइंस की दिशा में मार्गदर्शन दिया गया। इस प्रोजेक्ट में छात्रों ने हंस के मल से बैक्टीरिया को अलग किया और उसकी एंटीबायोटिक गतिविधियों का परीक्षण किया।
नवीन यौगिक की पहचान
छात्रों ने 14 हंस के मल के नमूनों में से एक में Pseudomonas idahoensis नामक बैक्टीरिया की पहचान की, जो एंटीबायोटिक गतिविधि प्रदर्शित कर रहा था। आगे की जांच में, विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने इस बैक्टीरिया से एक नया यौगिक, जिसे ‘orfamide N’ नाम दिया गया, की पहचान की। यह यौगिक मेलनोमा और अंडकोष के कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को रोकने में सहायक साबित हुआ, हालांकि प्रारंभिक शोध में यह एंटीबायोटिक गतिविधि के लिए जिम्मेदार नहीं था।
शोध की सफलता
इस खोज को ACS Omega नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया, जिसमें छात्र कैमरिया विलियम्स को सह-लेखक के रूप में शामिल किया गया। यह शोध यह दर्शाता है कि शैक्षिक आउटरीच और प्राकृतिक उत्पादों की खोज के बीच कितना महत्वपूर्ण संबंध हो सकता है। यह उदाहरण यह दिखाता है कि छोटे से अध्ययन में भी बड़े बदलाव की संभावना होती है।
भविष्य की संभावनाएं
शोधकर्ताओं का मानना है कि यह यौगिक भविष्य में कैंसर के उपचार में सहायक हो सकता है, या इससे अन्य लाभकारी गुणों की भी खोज की जा सकती है। इस प्रकार के शोध यह दर्शाते हैं कि शिक्षा और समुदाय की सहभागिता के माध्यम से नई खोजों का रास्ता खोला जा सकता है।