वीरेंद्र सहवाग का 47वां जन्मदिन: क्रिकेट के दिग्गज की कहानी

वीरेंद्र सहवाग का जन्मदिन
भारत के पूर्व सलामी बल्लेबाज और कप्तान वीरेंद्र सहवाग आज, 20 अक्टूबर को अपने 47वें जन्मदिन का जश्न मना रहे हैं। उनकी आक्रामक बल्लेबाजी ने हमेशा विरोधी गेंदबाजों पर दबाव बनाया। सहवाग को तेज़ी से रन बनाने के लिए जाना जाता है। बचपन में, उन्होंने सचिन तेंदुलकर की बल्लेबाजी को देखकर अपने खेल में तकनीक, धैर्य और आक्रामकता का संतुलन बनाने की कोशिश की। आइए, उनके जन्मदिन के अवसर पर उनके जीवन से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें जानते हैं।
जन्म और परिवार
वीरेंद्र सहवाग का जन्म 20 अक्टूबर 1978 को हरियाणा के नजफगढ़ में हुआ। उनके पिता का नाम कृष्ण सहवाग और मां का नाम कृष्णा सहवाग है। उन्होंने अपनी शिक्षा दिल्ली में प्राप्त की। 12वीं कक्षा पास करने के बाद, उन्होंने जामिया मिलिया इस्लामिया से ग्रेजुएशन किया और विकासपुरी में क्रिकेट कोचिंग सेंटर में कोच एएन शर्मा से क्रिकेट की बारीकियां सीखी।
क्रिकेट करियर
वीरेंद्र सहवाग ने 1997-98 में घरेलू क्रिकेट में कदम रखा। उनके शानदार प्रदर्शन के बाद, उन्हें भारतीय टीम में खेलने का अवसर मिला। 1 अप्रैल 1999 को उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण किया, जो कि पाकिस्तान के खिलाफ मोहाली में हुआ। इस मैच में सहवाग केवल 1 रन बना सके, लेकिन उन्होंने अपनी नाकामी से सीख ली और चौथे वनडे में अर्धशतक बनाया। 2001 में, उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में भी पदार्पण किया। उनकी सटीक टाइमिंग और शक्तिशाली शॉट खेलने की क्षमता उन्हें अन्य खिलाड़ियों से अलग बनाती थी।
मुल्तान के सुल्तान
वीरेंद्र सहवाग का सबसे प्रिय शॉट स्क्वायर कट था। उन्होंने बेहतरीन टाइमिंग, शानदार फुटवर्क और हाथों की असाधारण ताकत के कारण अपनी बल्लेबाजी से सभी का ध्यान आकर्षित किया। 2004 में, उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ मुल्तान टेस्ट में 375 गेंदों का सामना करते हुए 309 रन बनाए, जिसमें 6 छक्के और 39 चौके शामिल थे। भारतीय टीम ने यह मैच 52 रन से जीता। सहवाग ने इस तिहरे शतक को छक्के के साथ पूरा किया, जो किसी भारतीय खिलाड़ी का टेस्ट क्रिकेट में पहला तिहरा शतक था। इस पारी ने उन्हें 'मुल्तान का सुल्तान' बना दिया।
पुरस्कार
भारत की ओर से 104 टेस्ट मैचों में वीरेंद्र सहवाग ने 49.34 की औसत से 8,586 रन बनाए, जिसमें 23 शतक और 32 अर्धशतक शामिल हैं। वहीं, उन्होंने 251 वनडे मैचों में 15 शतक और 38 अर्धशतक के साथ 8,273 रन बनाए। उनके उत्कृष्ट क्रिकेट प्रदर्शन के लिए, उन्हें 2002 में 'अर्जुन अवॉर्ड' से सम्मानित किया गया। इसके बाद, 2010 में उन्हें 'पद्म श्री' से नवाजा गया और उसी वर्ष 'आईसीसी टेस्ट प्लेयर ऑफ द ईयर' का खिताब भी मिला।