विंबलडन में सफेद कपड़े पहनने की परंपरा का रहस्य

विंबलडन टूर्नामेंट, जो 1877 से चल रहा है, में खिलाड़ियों द्वारा सफेद कपड़े पहनने की एक अनोखी परंपरा है। यह परंपरा क्वीन विक्टोरिया के समय से शुरू हुई थी, जब खिलाड़ियों ने सफेद कपड़े पहनकर खुद को आकर्षक दिखाने का प्रयास किया। इस लेख में जानें कि क्यों विंबलडन में सफेद कपड़े पहनना अनिवार्य है और इसके नियम क्या हैं।
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विंबलडन में सफेद कपड़े पहनने की परंपरा का रहस्य

विंबलडन टूर्नामेंट का इतिहास

विंबलडन टूर्नामेंट की शुरुआत 1877 में हुई थी और इसकी लोकप्रियता समय के साथ बढ़ती गई है। इस प्रतिष्ठित इवेंट में अक्सर कई मशहूर अभिनेता और एथलीट टेनिस मैच देखने आते हैं। इस टूर्नामेंट में सभी खिलाड़ियों को सफेद रंग के कपड़े पहनने की परंपरा का पालन करना होता है। यह नियम केवल पुरुष खिलाड़ियों तक सीमित नहीं है, बल्कि महिला खिलाड़ी भी इसी रंग में खेलती हैं।


सफेद कपड़ों की परंपरा का कारण

वास्तव में, खिलाड़ियों द्वारा सफेद कपड़े पहनने की परंपरा क्वीन विक्टोरिया के समय से चली आ रही है। उस समय, खिलाड़ी सफेद कपड़े पहनकर खुद को आकर्षक दिखाना चाहते थे। इसके अलावा, सफेद कपड़े पसीने को कम दिखाते हैं और गर्मियों में थोड़ी ठंडक भी प्रदान करते हैं। विंबलडन ने भले ही कुछ नियमों में बदलाव किया हो, लेकिन सफेद कपड़ों की परंपरा आज भी बरकरार है।


विंबलडन के नियम

विंबलडन के नियमों के अनुसार, सभी खिलाड़ियों को पूरी तरह से सफेद कपड़े पहनने की आवश्यकता होती है। उन्हें केवल सफेद या क्रीम रंग के कपड़े पहनने की अनुमति नहीं है। यदि कोई खिलाड़ी रंगीन कपड़े पहनना चाहता है, तो वह केवल सफेद कपड़े पर एक छोटी सी पट्टी जोड़ सकता है, जो 1 सेंटीमीटर चौड़ी होनी चाहिए। इसके अलावा, खिलाड़ियों के चश्मे, बैग और कैप भी सफेद रंग के होने चाहिए। यदि किसी खिलाड़ी को चोट लगती है, तो वह सफेद टेप का उपयोग कर सकते हैं, और केवल अत्यावश्यक स्थिति में ही अन्य रंग का टेप इस्तेमाल कर सकते हैं। नियमों का उल्लंघन करने पर खिलाड़ियों पर भारी जुर्माना लगाया जा सकता है।