राजस्थान के प्रतापगढ़ में अफीम की खेती और व्यापार की चुनौतियाँ

प्रतापगढ़ में अफीम की खेती का हाल
राजस्थान समाचार: प्रतापगढ़ जिले में अफीम की खेती का प्रचलन बढ़ रहा है, लेकिन इस फसल का मुख्य उत्पाद पोस्तदाना मंडी से लगभग गायब हो चुका है। यहां 8,855 किसानों ने चीरा और सीपीएस पद्धति से खेती के लिए पट्टे बनवाए हैं। जिले में कुल 8 कृषि मंडियां हैं, फिर भी पिछले एक दशक से ए श्रेणी मंडी में पोस्तदाने की न तो खरीद हो रही है और न ही बिक्री।
मंडी में बिक्री की कमी के कारण
मंडी में पोस्तदाना की बिक्री न होने का मुख्य कारण स्थानीय टैक्स संरचना है। जिले की मंडी में पोस्तदाना व्यापार पर कुल 8% टैक्स देना पड़ता है, जिसमें 5% जीएसटी, 2.10% मंडी टैक्स और 1% आढ़त शामिल है। इसके विपरीत, मध्यप्रदेश की मंडियों में यह टैक्स केवल 6.5% है।
किसानों और व्यापारियों पर प्रभाव
यह टैक्स का अंतर व्यापारियों के लिए लागत बढ़ाता है और किसानों को बेहतर मूल्य के लिए अन्य राज्यों में जाने को मजबूर करता है। पोस्तदाने की सफाई के दौरान निकला कचरा, जिसे डोडा चूरा कहा जाता है, कानूनी जटिलताओं का कारण बनता है। कुछ व्यापारी इस डोडा चूरे का अनुचित उपयोग करते हैं, जिससे कई व्यापारियों ने इससे किनारा कर लिया है।
वर्तमान मूल्य और संभावनाएँ
वर्तमान में पोस्तदाने के दाम 1 लाख से 1.5 लाख रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच चुके हैं। यदि सरकारी नीतियों में कुछ लचीलापन दिखाया जाए, तो मंडी टैक्स और जीएसटी में कमी से प्रतापगढ़ मंडी में पोस्तदाने की आवक फिर से शुरू हो सकती है। इससे मंडी को पोस्तदाने के व्यापार का केंद्र बनाया जा सकता है।
किसानों की स्थिति
प्रतापगढ़ के किसान बताते हैं कि 10 आरी के एक पट्टे पर लगभग एक क्विंटल पोस्तदाना उत्पादन होता है, लेकिन उन्हें इसे बेचने के लिए मध्यप्रदेश की मंडियों का रुख करना पड़ता है। एक दशक पहले, जब प्रतापगढ़ मंडी में पोस्तदाना 50 से 70 हजार रुपये प्रति क्विंटल बिकता था, तब चित्तौड़गढ़ जैसे पड़ोसी जिलों के किसान भी यहां माल बेचने आते थे। अब यह आवक शून्य हो चुकी है।
सरकारी नीतियों की आवश्यकता
प्रतापगढ़ जिले में पोस्तदाने का उत्पादन बड़ी मात्रा में होता है, लेकिन टैक्स में वृद्धि के कारण व्यापारी इसे खरीदने से कतराते हैं। यदि सरकार मंडी टैक्स को 2.10% से 1% करे और आढ़त को समाप्त करे, तो जिले को व्यापार में वृद्धि और राजस्व में सुधार देखने को मिल सकता है। इससे स्थानीय उद्योगों में भी वृद्धि होगी और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
राजस्थान में टैक्स की स्थिति
राजस्थान में अन्य राज्यों की मंडियों की तुलना में टैक्स सबसे अधिक है। इस मुद्दे पर कई बार प्रदेश स्तर पर ज्ञापन दिए गए हैं, लेकिन केवल आश्वासन ही मिले हैं। प्रतापगढ़ जिला अफीम उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन टैक्स के कारण यहां और मध्यप्रदेश के भाव में 10 हजार रुपये से अधिक का अंतर आता है।