मध्यप्रदेश में नवजात बच्ची के दिल के छेद के लिए एयर एंबुलेंस की व्यवस्था

जबलपुर में एक दो दिन की बच्ची के दिल में छेद होने की जानकारी मिलने पर स्वास्थ्य विभाग ने त्वरित कार्रवाई की। छुट्टी के दिन कार्यालय खोलकर एयर एंबुलेंस की व्यवस्था की गई, जिससे बच्ची को मुंबई के नारायण अस्पताल भेजा जाएगा। यह मध्यप्रदेश में पहली बार है कि किसी नवजात के लिए एयर एंबुलेंस की सुविधा प्रदान की गई है। जानें इस मामले में स्वास्थ्य विभाग की तत्परता और बच्ची के इलाज की पूरी कहानी।
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स्वास्थ्य विभाग की तत्परता से नवजात बच्ची को मिली मदद

मध्यप्रदेश में नवजात बच्ची के दिल के छेद के लिए एयर एंबुलेंस की व्यवस्था


जबलपुर में एक दो दिन की बच्ची के दिल में छेद होने की सूचना मिलने पर स्वास्थ्य विभाग ने त्वरित कार्रवाई की। इस मामले में न केवल छुट्टी के दिन कार्यालय खोला गया, बल्कि बच्ची के इलाज के लिए एयर एंबुलेंस की व्यवस्था भी की गई। मध्यप्रदेश में यह पहली बार है कि किसी नवजात के लिए राज्य सरकार ने एयर एंबुलेंस की सुविधा उपलब्ध कराई है। बच्ची को गुरुवार को एयर एंबुलेंस के माध्यम से मुंबई के नारायण अस्पताल भेजा जाएगा, जहां उसका ऑपरेशन किया जाएगा।


बच्ची की गंभीर स्थिति

सिहोरा के निवासी सतेंद्र दाहिया की पत्नी शशि ने सोमवार को जुड़वां बच्चों को जन्म दिया। जन्म के बाद डॉक्टरों ने जांच की, जिसमें पता चला कि लड़का स्वस्थ है, जबकि बच्ची गंभीर स्वास्थ्य समस्या का सामना कर रही है। बच्ची के दिल में छेद है, और यदि समय पर इलाज नहीं किया गया, तो उसकी जान को खतरा हो सकता था।


जान बचाने के लिए त्वरित कार्रवाई

बच्ची की जान बचाने के लिए राज्य सरकार ने तुरंत कदम उठाए। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (RBSK) के कार्यालय को अवकाश के दिन खोला गया। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी और जिला प्रबंधक ने मिलकर केवल डेढ़ घंटे में सभी आवश्यक दस्तावेज तैयार किए।


स्वास्थ्य विभाग की सेवा की मिसाल

चिकित्सा विभाग की डॉ. विनिता उप्पल और श्रेय अवस्थी ने एयर एंबुलेंस की व्यवस्था के लिए अधिकारियों के साथ समन्वय किया। गुरुवार सुबह बच्ची को एयरलिफ्ट कर मुंबई के नारायण अस्पताल भेजा जाएगा। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. संजय मिश्रा ने बताया कि बच्ची की स्थिति को देखते हुए यह कदम उठाया गया, जो सफल रहा। राज्य सरकार बच्ची के इलाज का पूरा खर्च उठाएगी। इससे पहले भी बच्चों को इलाज के लिए मुंबई भेजा गया था, लेकिन एयरलिफ्ट पहली बार किया गया है।