झारखंड ने सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी 2025 में धोनी की मदद से पहली बार खिताब जीता

झारखंड ने सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी 2025 में पहली बार खिताब जीतकर इतिहास रच दिया है। इस सफलता में महेंद्र सिंह धोनी की महत्वपूर्ण भूमिका रही, जिन्होंने खिलाड़ियों के प्रदर्शन और टीम प्रबंधन में महत्वपूर्ण सुझाव दिए। जानें कैसे धोनी की सोच और रणनीतियों ने झारखंड क्रिकेट को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।
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झारखंड ने सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी 2025 में धोनी की मदद से पहली बार खिताब जीता

धोनी का योगदान झारखंड की ऐतिहासिक जीत में

सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी 2025 में झारखंड ने पहली बार खिताब जीतकर एक नया इतिहास रच दिया है, और इस सफलता के पीछे महेंद्र सिंह धोनी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।




ईशान किशन की कप्तानी में झारखंड ने फाइनल में हरियाणा को हराकर यह खिताब अपने नाम किया। हालांकि, धोनी मैदान पर नहीं थे, लेकिन उनकी भूमिका पर्दे के पीछे बेहद महत्वपूर्ण रही। यह जानकारी पूर्व भारतीय स्पिनर और झारखंड राज्य क्रिकेट संघ के संयुक्त सचिव शाहबाज नदीम ने साझा की।




रिपोर्ट के अनुसार, धोनी पूरे टूर्नामेंट के दौरान टीम प्रबंधन और खिलाड़ियों के संपर्क में रहे। उन्होंने खिलाड़ियों की ताकत और कमजोरियों पर चर्चा की और कोचिंग स्टाफ के चयन से लेकर टीम के ढांचे तक में महत्वपूर्ण सुझाव दिए। नदीम ने बताया कि सीजन की शुरुआत से पहले ही धोनी की सलाह पर कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए थे।




धोनी की सलाह पर झारखंड ने बाहरी कोचों की बजाय अपने सिस्टम से जुड़े कोचों पर भरोसा किया। रतन कुमार को मुख्य कोच और सनी गुप्ता को गेंदबाजी कोच नियुक्त किया गया। इस निर्णय ने टीम में स्थिरता और विश्वास का माहौल बनाया।




धोनी की भूमिका केवल सुझाव देने तक सीमित नहीं रही। वह खिलाड़ियों के आंकड़े, फॉर्म और मानसिक स्थिति पर भी नजर रखते थे। नदीम के अनुसार, धोनी को झारखंड के हर घरेलू खिलाड़ी की ताकत और कमजोरियां याद हैं, और वह राज्य क्रिकेट को आगे बढ़ते देखना चाहते हैं।




हेड कोच रतन कुमार ने भी स्वीकार किया कि टीम को तैयार करने में समय लगने की उम्मीद थी, लेकिन खिलाड़ियों का प्रदर्शन अपेक्षा से कहीं बेहतर रहा। टीम का आत्मविश्वास और सामूहिक सोच इस खिताब की प्रमुख वजह बनी।




धोनी ने आखिरी बार 2015 में झारखंड के लिए खेला था, और 2020 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद भी उनका राज्य क्रिकेट से जुड़ाव बना हुआ है। इस ऐतिहासिक जीत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भले ही धोनी मैदान से दूर हों, उनकी सोच आज भी झारखंड क्रिकेट की दिशा निर्धारित कर रही है।