चाय के औषधीय गुण: जानें विभिन्न प्रकार की चाय और उनके लाभ

चाय का उपयोग औषधि के रूप में सदियों से किया जा रहा है। यह न केवल एक लोकप्रिय पेय है, बल्कि इसके कई स्वास्थ्य लाभ भी हैं। विभिन्न प्रकार की चाय जैसे गौती चाय, काली चाय, धनिया चाय, और मसाला चाय में अद्वितीय औषधीय गुण होते हैं। जानें कैसे ये चाय आपके स्वास्थ्य को बेहतर बना सकती हैं और किस प्रकार के रोगों से बचा सकती हैं।
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चाय के औषधीय गुण: जानें विभिन्न प्रकार की चाय और उनके लाभ

चाय का ऐतिहासिक उपयोग

चाय के औषधीय गुण: जानें विभिन्न प्रकार की चाय और उनके लाभ


कम ही लोग जानते हैं कि चाय का पहला उपयोग औषधि के रूप में किया गया था। जड़ी-बूटियों के विशेषज्ञ समय-समय पर चाय की ताजा पत्तियों और बीजों का उपयोग विभिन्न रोगों के उपचार के लिए करते रहे हैं। समय के साथ, चाय हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गई है और यह दिन की शुरुआत में सबसे पहले पी जाने वाला पेय बन गया है। संतुलित मात्रा में चाय का सेवन कई बीमारियों से दूर रखता है। आइए जानते हैं चाय के औषधीय गुणों के बारे में।


गौती चाय

बुंदेलखंड में ग्रामीण लोग गौती चाय बनाते हैं, जिसमें हल्की नींबू की सुगंध होती है। इसे बनाने के लिए लेमन ग्रास की तीन पत्तियों को कुचलकर दो कप पानी में उबाला जाता है। स्वाद के अनुसार चीनी मिलाकर इसे तब तक उबालते हैं जब तक यह एक कप न रह जाए। अदरक का स्वाद पसंद करने वाले लोग इसमें एक चुटकी अदरक भी डाल सकते हैं। गौती चाय में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं और यह संक्रमण को नियंत्रित करने में मददगार होती है।


काली चाय

काली चाय बिना दूध की होती है और इसमें मिठास होती है। इसे बनाने के लिए 2 कप पानी में एक चम्मच चाय की पत्तियाँ और 3 चम्मच चीनी डालकर उबाला जाता है। जब चाय लगभग एक कप रह जाती है, इसे छानकर परोसा जाता है। हर्बल विशेषज्ञों के अनुसार, यह चाय तनाव को कम करने में मदद करती है।


धनिया चाय

राजस्थान में धनिया चाय का सेवन स्वास्थ्य सुधार के लिए किया जाता है। इसे बनाने के लिए 2 कप पानी में जीरा, धनिया, चायपत्ती और सौंफ डालकर उबाला जाता है। आवश्यकतानुसार चीनी या शहद मिलाकर इसे और स्वादिष्ट बनाया जा सकता है। यह चाय गले की समस्याओं और अपचन के लिए फायदेमंद होती है।


अनंतमूली चाय

पातालकोट में आदिवासी सर्दियों में अनंतमूली चाय का सेवन करते हैं। इसकी जड़ को उबालकर चाय की पत्तियाँ मिलाई जाती हैं। यह चाय दमा और सांस की बीमारियों के लिए लाभकारी होती है।


खट्टी गौती चाय

मध्य भारत के गोंडवाना क्षेत्र में खट्टी गौती चाय बनाई जाती है, जिसमें संतरे या नींबू के छिलके मिलाए जाते हैं। यह चाय एंटी-एजिंग गुणों से भरपूर होती है और नियमित सेवन से यौवन को बनाए रखने में मदद करती है।


मुलेठी चाय

गुजरात के सौराष्ट्र में जेठीमद चाय के नाम से जानी जाने वाली मुलेठी चाय, सर्दी और खांसी से राहत दिलाने में मदद करती है। इसे बनाने के लिए साधारण चाय में मुलेठी मिलाई जाती है।


बस्तर की सैदी चाय

बस्तर के गांवों में शहद के साथ बनाई जाने वाली इस चाय को सैदी चाय कहा जाता है। इसे बनाने के लिए चाय पत्तियों में शहद और दूध मिलाकर उबाला जाता है। यह चाय शरीर में ऊर्जा लाने में मदद करती है।


मसाला चाय

गुजरात में मसाला चाय बनाने के लिए काली मिर्च, तुलसी, दालचीनी, और अन्य मसालों का मिश्रण तैयार किया जाता है। इसे चाय पत्तियों और दूध के साथ उबाला जाता है। यह चाय न केवल स्वादिष्ट होती है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होती है।