गाय के गोबर से जैविक खाद बनाने वाले किसान को मिल सकता है राज्य स्तरीय पुरस्कार

उत्तर प्रदेश के हापुड़ में एक किसान ने देसी गाय के गोबर और मूत्र से जैविक खाद तैयार की है, जिससे वह 35 बीघा जमीन पर खेती कर रहे हैं। गुरमीत सिंह की इस अनोखी विधि की चर्चा तेजी से हो रही है और उन्हें राज्य स्तरीय पुरस्कार मिलने की संभावना है। जानें कैसे वह इस खाद को बनाते हैं और इसके फायदों के बारे में। उनकी कहानी न केवल खेती में नवाचार को दर्शाती है, बल्कि किसानों के लिए प्रेरणा भी है।
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गाय के गोबर से जैविक खाद बनाने वाले किसान को मिल सकता है राज्य स्तरीय पुरस्कार

गाय के गोबर से जैविक खाद का निर्माण

गाय के गोबर से जैविक खाद बनाने वाले किसान को मिल सकता है राज्य स्तरीय पुरस्कार


उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले के एक किसान ने देसी गाय के गोबर और मूत्र का उपयोग करके जैविक खाद तैयार की है, जिससे 35 बीघा यानी लगभग छह एकड़ भूमि पर खेती की जा सकती है। इस अनोखे फार्मूले की चर्चा तेजी से हो रही है और इसे राज्य स्तर पर पुरस्कार मिलने की संभावना है। इस किसान का नाम गुरमीत सिंह है, जो हापुड़ के रसूलपुर गांव से हैं और एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं।


गुरमीत सिंह पिछले पांच वर्षों से जैविक खाद का उपयोग गन्ने की खेती में कर रहे हैं। इसके अलावा, वे अन्य फसलों के लिए भी इस खाद का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे उनकी फसलें बेहतर हो रही हैं। इस खाद की मदद से वे गेहूं, धान और कई सब्जियों की भरपूर पैदावार कर रहे हैं।


गुरमीत ने बताया कि रासायनिक मुक्त खाद को बनाना आसान है और यह अच्छी फसल देने में सहायक है। उनके अनुसार, एक देसी गाय के गोबर और गोमूत्र से 25 एकड़ तक की खेती की जा सकती है। एक एकड़ के लिए 10 किलो गोबर और 5 किलो गोमूत्र की आवश्यकता होती है।


खाद बनाने की प्रक्रिया

खाद बनाने की प्रक्रिया में गोबर और गोमूत्र का मिश्रण तैयार किया जाता है, जिसमें तीन किलो गुड़ और दो किलो बेसन मिलाया जाता है। इसके बाद, इसे बरगद के पेड़ के नीचे की दो किलो मिट्टी के साथ 200 लीटर पानी मिलाकर रखा जाता है। गर्मियों में यह खाद 15 दिन में तैयार हो जाती है, जबकि सर्दियों में इसे बनने में 30 से 40 दिन लगते हैं। तैयार होने के बाद, इसे सिंचाई के दौरान पानी की नाली में डाला जा सकता है। फसल की सुरक्षा के लिए नीम और भांग का छिड़काव किया जाता है।


गुरमीत ने बताया कि लोग अक्सर दूध न देने वाली गायों को छोड़ देते हैं, जो गलत है। यदि किसान गोबर और गोमूत्र को एकत्रित करके बेचें, तो वे मुनाफा कमा सकते हैं। जैसे-जैसे लोग इस खाद के बारे में जान रहे हैं, वे गुरमीत से मिलने आ रहे हैं और इस प्रक्रिया को सीखने की कोशिश कर रहे हैं।


किसानों की राय

किसान सुखवीर ने कहा कि गुरमीत की खेती करने की विधि वास्तव में प्रभावी है। जैविक खाद के उपयोग से न केवल भूमि की उपजाऊ क्षमता में वृद्धि होती है, बल्कि फसलें भी स्वस्थ होती हैं। एक अन्य किसान ने बताया कि जैविक खाद के उपयोग से रासायनिक खाद पर होने वाले खर्च में कमी आती है।


लखनऊ में 27 फरवरी को राज्य स्तरीय गुड़ महोत्सव का आयोजन होने जा रहा है, जिसमें जिले की एकमात्र खांडसारी इकाई का चयन किया गया है, जिसके संचालक गुरमीत सिंह हैं। खांडसारी के निरीक्षक रविंद्र कुमार सिंह ने कहा कि यह पहली बार है जब किसी गुड़ उत्पादक का नाम राज्य स्तर के महोत्सव के लिए चुना गया है।