भारत के लिए एजबेस्टन टेस्ट: 57 साल का जिंक्स तोड़ने का मौका

भारत और इंग्लैंड के बीच एजबेस्टन में होने वाला दूसरा टेस्ट मैच भारतीय टीम के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। 57 साल से एजबेस्टन में जीत नहीं पाने का रिकॉर्ड तोड़ने की कोशिश में, भारत को इस मैच में जीत की आवश्यकता है। शुभमन गिल की कप्तानी में, टीम एक अनुभवहीन गेंदबाजी लाइनअप के साथ मैदान में उतरेगी। जानें इस मैच का महत्व और भारत के पिछले रिकॉर्ड के बारे में।
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भारत के लिए एजबेस्टन टेस्ट: 57 साल का जिंक्स तोड़ने का मौका

भारत का एजबेस्टन में टेस्ट इतिहास

भारत इंग्लैंड के खिलाफ पांच मैचों की श्रृंखला के दूसरे टेस्ट के लिए एजबेस्टन, बर्मिंघम में कदम रख रहा है। यह मैदान भारतीय टेस्ट टीम के लिए हमेशा से एक बुरा सपना रहा है। श्रृंखला में 0-1 से पीछे होने के कारण, 2 जुलाई को होने वाला यह मैच न केवल वापसी के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि दशकों पुरानी हार के जिंक्स को समाप्त करने का भी एक अवसर है।


एजबेस्टन: भारत का टेस्ट कब्रिस्तान

भारत ने एजबेस्टन में आठ टेस्ट मैच खेले हैं और इनमें से एक भी नहीं जीता है। इस मैदान पर भारत को कई बड़े हार का सामना करना पड़ा है, जो दिल तोड़ने वाले और निराशाजनक रहे हैं।


बर्मिंघम में भारत का खराब रिकॉर्ड

1967 – 132 रन से हार


1974 – एक पारी और 78 रन से हार


1979 – एक पारी और 83 रन से हार


1986 – मैच ड्रॉ (केवल एक गैर-हार)


1996 – 8 विकेट से हार


2011 – एक पारी और 242 रन से हार (इस स्थल पर भारत की सबसे बड़ी हार)


2018 – 31 रन से हार (करीब का मैच, विराट कोहली ने पहले पारी में 149 रन बनाए)


2022 – 7 विकेट से हार (पुनर्निर्धारित टेस्ट; इंग्लैंड ने 378 रन आसानी से बनाए)


यहां भारत का रिकॉर्ड है: सात हार और एक ड्रॉ, जिसे पलटने की कोशिश की जाएगी।


भारत के लिए इस टेस्ट का महत्व

भारत न केवल श्रृंखला में 1-0 से पीछे है, बल्कि अब उसे श्रृंखला को जीवित रखने का दबाव भी है। इंग्लैंड के घरेलू मैदान पर खेलने की सहजता और एजबेस्टन के इतिहास को देखते हुए, यह टेस्ट बाकी गर्मियों के लिए टोन सेट कर सकता है।


शुभमन गिल की कप्तानी में, भारत एक अपेक्षाकृत अनुभवहीन गेंदबाजी लाइनअप और अस्थिर मध्य क्रम के साथ मैदान में उतरेगा। एजबेस्टन में जीत ऐतिहासिक और आत्मविश्वास बढ़ाने वाली होगी।


एजबेस्टन की परिस्थितियाँ और आगे की चुनौती

एजबेस्टन की पिच पर आमतौर पर बादल वाले मौसम में शुरुआती सीम मूवमेंट और स्विंग देखने को मिलती है। जैसे-जैसे खेल आगे बढ़ता है, बल्लेबाजी आसान होती जाती है, लेकिन यह तभी संभव है जब शीर्ष क्रम शुरुआती हमले को सहन कर सके।


भारत के तेज गेंदबाजों को जल्दी अनुकूलन करना होगा। वहीं, बल्लेबाजों को इतिहास और एंडरसन से प्रेरित दबाव को पार करना होगा, एक ऐसी पिच पर जो साहस को पुरस्कृत करती है। यदि भारत इस सप्ताह एजबेस्टन में जीतता है, तो यह न केवल श्रृंखला को 1-1 से बराबर करेगा, बल्कि इस स्थल पर 57 साल की जीत रहित रिकॉर्ड को भी समाप्त करेगा। यह बर्मिंघम में भारत की पहली टेस्ट जीत होगी और अगले तीन टेस्ट के लिए गति को बढ़ाएगी।