कप्तान गिल की दोस्ती के चलते दूसरे टेस्ट में मिलेगा एक और मौका

इंग्लैंड के खिलाफ पहले टेस्ट में भारत को मिली हार के बाद, कप्तान गिल ने अपने दोस्त करुण नायर को दूसरे टेस्ट में खेलने का मौका देने का निर्णय लिया है। नायर का प्रदर्शन पहले टेस्ट में निराशाजनक रहा, लेकिन गिल की दोस्ती उन्हें फिर से मौका दिला रही है। जानें नायर के क्रिकेट करियर के बारे में और उनकी वापसी की कहानी।
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कप्तान गिल की दोस्ती के चलते दूसरे टेस्ट में मिलेगा एक और मौका

टीम इंडिया की शर्मनाक हार

कप्तान गिल की दोस्ती के चलते दूसरे टेस्ट में मिलेगा एक और मौका
इंग्लैंड के खिलाफ पहले टेस्ट में भारत को एक शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा। इस मैच में एक ऐसा खिलाड़ी शामिल था, जो वास्तव में रणजी खेलने के योग्य नहीं था, फिर भी कप्तान गिल अपनी दोस्ती के कारण उसे दूसरे टेस्ट में खेलने का अवसर देने जा रहे हैं। आइए जानते हैं कि वह खिलाड़ी कौन है।


खिलाड़ी की पहचान

कौन है ये खिलाड़ी?

कप्तान गिल की दोस्ती के चलते दूसरे टेस्ट में मिलेगा एक और मौका

हम जिस खिलाड़ी की चर्चा कर रहे हैं, उसका नाम करुण नायर है। इंग्लैंड के खिलाफ पहले टेस्ट में उनका प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा। लगभग 8 साल बाद टीम में वापसी करते हुए, उन्होंने अपने कमबैक मैच को यादगार नहीं बना पाए। पहली पारी में वह बिना खाता खोले आउट हो गए, जबकि दूसरी पारी में उन्होंने 54 गेंदों में केवल 20 रन बनाए, जिसमें तीन चौके शामिल थे।


करुण नायर का घरेलू क्रिकेट करियर

करुण नायर का घरेलू क्रिकेट करियर

करुण नायर एक भारतीय अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेटर हैं, जो घरेलू क्रिकेट में विदर्भ और आईपीएल में दिल्ली कैपिटल्स के लिए खेलते हैं। वह दाएं हाथ के बल्लेबाज हैं और कभी-कभी ऑफ-ब्रेक गेंदबाजी भी करते हैं। उनका क्रिकेट करियर कई उतार-चढ़ावों से भरा रहा है, जिसमें एक ऐतिहासिक तिहरा शतक भी शामिल है। उन्होंने 2013-14 रणजी ट्रॉफी सीजन में कर्नाटक के लिए पदार्पण किया और पहले ही सीजन में लगातार तीन शतक जड़कर सबका ध्यान आकर्षित किया।


अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट करियर

अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट करियर

उन्होंने भारत के लिए कुल 6 टेस्ट मैच खेले हैं और 374 रन बनाए हैं। उनका सबसे यादगार पल दिसंबर 2016 में इंग्लैंड के खिलाफ चेन्नई में आया, जब उन्होंने 303* रन की शानदार नाबाद पारी खेली। वह वीरेंद्र सहवाग के बाद टेस्ट क्रिकेट में तिहरा शतक बनाने वाले दूसरे भारतीय बल्लेबाज बने। इस ऐतिहासिक पारी के बावजूद, उन्हें बाद में टीम से बाहर कर दिया गया और 8 साल तक अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी का इंतजार करना पड़ा।