21 साल की उम्र में 197 देशों की यात्रा करने वाली लेक्सी अल्फोर्ड का अनोखा सफर

लेक्सी अल्फोर्ड, 21 साल की उम्र में 197 देशों की यात्रा करने वाली पहली व्यक्ति, ने अपने अद्वितीय सफर से सभी को प्रेरित किया है। कैलिफोर्निया की निवासी लेक्सी ने अपने माता-पिता के साथ यात्रा की शुरुआत की और 2016 में दुनिया के हर कोने की यात्रा करने का संकल्प लिया। उन्होंने अपने अनुभवों में प्राकृतिक सुंदरता और विभिन्न संस्कृतियों के बारे में बताया है। जानें उनके सफर की पूरी कहानी और कैसे उन्होंने यह रिकॉर्ड बनाया।
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लेक्सी अल्फोर्ड का अद्वितीय रिकॉर्ड

21 साल की उम्र में 197 देशों की यात्रा करने वाली लेक्सी अल्फोर्ड का अनोखा सफर
This girl has traveled to 197 countries at the age of 21, told Pakistan the world’s most…


लेक्सी अल्फोर्ड, जो केवल 21 वर्ष की आयु में 197 देशों की यात्रा करने वाली पहली व्यक्ति हैं, ने यह अद्वितीय रिकॉर्ड स्थापित किया है। उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज किया गया है। इससे पहले, यह रिकॉर्ड 'केसी द पेकोल' के पास था।


बचपन से यात्रा का जुनून

लेक्सी कैलिफोर्निया, अमेरिका की निवासी हैं। उन्होंने बताया कि उनका यात्रा का सफर बचपन से ही शुरू हुआ। उनके परिवार की एक ट्रैवल एजेंसी थी, जिसके कारण उनके माता-पिता उन्हें विभिन्न स्थानों पर पढ़ाई के लिए भेजते थे।


माता-पिता का योगदान

लेक्सी ने साझा किया कि उनके माता-पिता ने उन्हें कंबोडिया के फ्लोटिंग विलेज से लेकर दुबई के बुर्ज खलीफा और अर्जेंटीना के उशुआया से मिस्र के पिरामिड तक घुमाया। इन अनुभवों ने उनके मन में अन्य देशों के लोगों के बारे में जानने की जिज्ञासा जगाई।


2016 में शुरू हुआ यात्रा का मिशन

लेक्सी ने 2016 में दुनिया के सभी देशों की यात्रा करने का संकल्प लिया। जब उनसे पूछा गया कि यह विचार उनके मन में कैसे आया, तो उन्होंने बताया कि 18 साल की उम्र तक वे पहले ही 72 देशों की यात्रा कर चुकी थीं।


स्वतंत्रता से यात्रा का अनुभव

लेक्सी ने अपनी यात्रा के लिए अधिकांश पैसे खुद कमाए और कुछ ब्रांडों के साथ साझेदारी की। उन्होंने 12 साल की उम्र से ही बचत करना शुरू कर दिया था।


प्राकृतिक सुंदरता की खोज

लेक्सी ने पाकिस्तान और वेनेजुएला की प्राकृतिक सुंदरता की सराहना की। हालांकि, पश्चिम और मध्य अफ्रीका में उन्हें वीजा, पर्यटन के लिए कम सुविधाएं और भाषाई बाधाओं का सामना करना पड़ा।