यशस्वी जायसवाल: संघर्ष से सफलता की ओर

यशस्वी जायसवाल की कहानी एक प्रेरणा है, जो संघर्ष और मेहनत के माध्यम से सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचने की यात्रा को दर्शाती है। उत्तर प्रदेश के भदोही से मुंबई तक का उनका सफर, जहां उन्होंने गोलगप्पे बेचे और टेंट में रात बिताई, लेकिन कभी हार नहीं मानी। उनके क्रिकेट में उत्कृष्टता और रिकॉर्ड्स ने उन्हें एक सितारे बना दिया। जानें कैसे यशस्वी ने अपने सपनों को साकार किया और आज क्रिकेट की दुनिया में एक महत्वपूर्ण नाम बन गए हैं।
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सपनों की ओर पहला कदम

यशस्वी जायसवाल: संघर्ष से सफलता की ओर


कड़ी मेहनत, समर्पण और जुनून, ये तीन बातें किसी भी सपने को साकार कर सकती हैं। यह बात अमीर या गरीब होने से नहीं बदलती। युवा क्रिकेटर यशस्वी जायसवाल की कहानी इस बात का प्रमाण है। यशस्वी ने एक समय गोलगप्पे बेचे और कई रातें भूखे पेट टेंट में बिताईं। लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और हर चुनौती का सामना किया। उनकी सफलता की कहानी निश्चित रूप से प्रेरणादायक है।


10 साल की उम्र में घर छोड़ना

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यशस्वी जायसवाल: संघर्ष से सफलता की ओर


यशस्वी जायसवाल उत्तर प्रदेश के भदोही के निवासी हैं। उनके पिता की एक छोटी सी दुकान है और मां गृहिणी हैं। यशस्वी अपने परिवार में सबसे छोटे हैं और उनका सपना क्रिकेटर बनने का था। इस सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने केवल 10 साल की उम्र में घर छोड़कर मुंबई का रुख किया। उनके पिता ने उन्हें रोकने की कोशिश नहीं की, क्योंकि उनके पास बेटे के भविष्य के लिए पैसे नहीं थे।


गोलगप्पे बेचने का अनुभव

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मुंबई में, यशस्वी ने आजाद मैदान में रामलीला के दौरान पानी-पूरी और फलों के ठेले पर काम करना शुरू किया। इस दौरान वह कभी-कभी क्रिकेट खेलने भी जाते थे। वह भगवान से प्रार्थना करते थे कि उनकी टीम का कोई साथी गोलगप्पे के ठेले पर न आए, क्योंकि इससे उन्हें शर्मिंदगी होती। क्रिकेट में अच्छा प्रदर्शन करके वह 200-300 रुपये प्रति सप्ताह कमा लेते थे।


संघर्ष की रातें

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यशस्वी के दिन अच्छे गुजरते थे, लेकिन रातें कठिन होती थीं। कई बार वह अपने परिवार को याद कर घंटों रोते थे। टेंट में रहने वाले लड़के आपस में लड़ते थे और खाना बनाने को लेकर झगड़ते थे। यशस्वी को रोटी बनाने की जिम्मेदारी दी गई थी। जबकि अन्य लड़के घर का बना लंच बॉक्स लाते थे, यशस्वी को खुद खाना बनाना पड़ता था।


जीवन में बदलाव

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जब आजाद मैदान में मैच होते थे, तो यशस्वी बॉल खोजने का काम भी करते थे। एक दिन कोच ज्वाला सिंह ने उनकी प्रतिभा देखी और उन्हें क्रिकेट की कोचिंग दी। जल्द ही यशस्वी का टैलेंट निखर गया और वह एक उत्कृष्ट क्रिकेटर बन गए। वह हमेशा अपने कोच के प्रति आभारी रहते हैं।


सचिन तेंदुलकर से मुलाकात

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यशस्वी एक बार बेंगलुरु में राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी गए, जहां उनकी दोस्ती सचिन तेंदुलकर के बेटे अर्जुन से हुई। अर्जुन ने यशस्वी को अपने पिता से मिलवाया। सचिन ने यशस्वी की संघर्ष की कहानी सुनकर उन्हें अपना बल्ला उपहार में दिया और कहा कि इसे अपने डेब्यू मैच में इस्तेमाल करें।


रिकॉर्ड्स की झड़ी

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यशस्वी जायसवाल: संघर्ष से सफलता की ओर


यशस्वी तब मीडिया की सुर्खियों में आए जब उन्होंने 2019 में विजय हजारे ट्रॉफी में मुंबई के लिए खेलते हुए दोहरा शतक और तीन शतकों के साथ पांच मैचों में कुल 504 रन बनाए। वह ऐसा करने वाले सबसे कम उम्र के बल्लेबाज बने। उन्होंने एक पारी में 12 छक्के भी लगाए, जो एक रिकॉर्ड है।


अंडर-19 वर्ल्ड कप में सफलता

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यशस्वी ने अंडर-19 वर्ल्ड कप 2020 में एक शतक और चार अर्धशतक के साथ 400 रन बनाकर सभी का दिल जीत लिया। उन्हें 'मैन ऑफ द टूर्नामेंट' भी चुना गया। इसके बाद, 2020 की IPL नीलामी में राजस्थान रॉयल्स ने उन्हें 2.4 करोड़ में खरीदा। वर्तमान में, यशस्वी ईरानी ट्रॉफी में शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं, जिसमें उन्होंने रेस्ट ऑफ इंडिया के खिलाफ दोहरा शतक और एक शतक बनाया।