नंदलाल की प्रेरणादायक कहानी: दिव्यांगता के बावजूद सफलता की ओर बढ़ते कदम

नंदलाल की कहानी एक प्रेरणा है, जो दिव्यांगता के बावजूद अपने पैरों से सफलता की ओर बढ़ रहे हैं। उन्होंने अपने जीवन में कई बाधाओं का सामना किया, लेकिन कभी हार नहीं मानी। जानें कैसे उन्होंने अपनी मेहनत और हिम्मत से शिक्षा में उत्कृष्टता प्राप्त की और IAS बनने का सपना देखा। उनकी अदम्य साहस की कहानी आपको प्रेरित करेगी।
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नंदलाल की प्रेरणादायक कहानी: दिव्यांगता के बावजूद सफलता की ओर बढ़ते कदम

जीवन में आगे बढ़ने की चाह

हर व्यक्ति अपने जीवन में प्रगति करना चाहता है। सभी की ख्वाहिश होती है कि वे अपने जीवन में उत्कृष्टता प्राप्त करें, लेकिन केवल सोचने से सफलता नहीं मिलती। यदि आप एक सफल इंसान बनना चाहते हैं, तो इसके लिए निरंतर मेहनत और संघर्ष करना आवश्यक है। जब आप ठान लेते हैं कि आपको अपने जीवन में आगे बढ़ना है, तो हर बाधा छोटी लगने लगती है। आपकी मेहनत और समर्पण से आप किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।


दिव्यांगता के बावजूद हिम्मत

यह कहावत सच है कि "मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है।" यह वाक्य बिहार के मुंगेर के नंदलाल पर पूरी तरह से लागू होता है। उन्होंने यह साबित कर दिया है कि यदि कोई व्यक्ति कुछ करने की ठान ले, तो वह अपने रास्ते की हर समस्या को पार कर सकता है।


बचपन में खो दिए थे दोनों हाथ

मुंगेर जिले के हवेली खड़गपुर नगर के संत टोला में रहने वाले अजय कुमार साह की दुकान में नंदलाल अपने पिता के साथ रहते हैं। नंदलाल के दोनों हाथ बचपन में करंट लगने के कारण कट गए थे। इसके बावजूद, उन्होंने पढ़ाई की अपनी इच्छा को कभी नहीं छोड़ा। हाथों की कमी के बावजूद, नंदलाल ने अपने पैरों को अपना हाथ बना लिया है और आज वह अपने पैरों से लिखकर परीक्षा दे रहे हैं।


पैरों से परीक्षा में सफलता

नंदलाल ने अपनी दिव्यांगता को कभी भी अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया। उन्होंने अपने दादा से पैरों से लिखने की कला सीखी और अब वह परीक्षा में अपने पैरों से लिखते हैं। उनकी मेहनत और हिम्मत ने उन्हें एक नई पहचान दी है।


शिक्षा में उत्कृष्टता

अधिकतर लोग ऐसे हालात में हार मान लेते हैं, लेकिन नंदलाल ने अपनी दिव्यांगता को कभी भी बेबसी नहीं बनने दिया। उन्होंने 2019 में 12वीं की परीक्षा फर्स्ट डिवीजन से पास की और 500 में से 325 अंक प्राप्त किए। वर्तमान में, वह बीए फर्स्ट ईयर के छात्र हैं और आरएस कॉलेज तारापुर में पढ़ाई कर रहे हैं।


IAS बनने का सपना

नंदलाल का सपना है कि वह बीएड करने के बाद IAS बनें। अपने इस सपने को पूरा करने के लिए वह अपने पैरों से मेहनत कर रहे हैं। उनके इस अदम्य साहस को हम सभी सलाम करते हैं।