किराएदारों के अधिकार: जानें क्या हैं आपके कानूनी हक
किराएदारों के अधिकारों की जानकारी
शहरों में अपना घर खरीदना अब पहले की तरह आसान नहीं रह गया है। कई लोग आज भी किराए पर रह रहे हैं, खासकर जब वे नौकरी के लिए दूसरे शहरों में जाते हैं। इस स्थिति में, किराएदार अक्सर मकान मालिक की मनमानी का शिकार बन जाते हैं। किराए और अन्य मुद्दों पर विवाद आम हैं। इसलिए, यह जानना आवश्यक है कि कानून में किराएदारों के अधिकार क्या हैं।
किराएदारों के कानूनी अधिकार
1. रेंट एग्रीमेंट की शर्तें:
किराएदार और मकान मालिक के बीच रेंट एग्रीमेंट में कई शर्तें होती हैं। मकान मालिक बिना किसी कारण के किराएदार को समय सीमा से पहले नहीं निकाल सकता। यदि किराएदार दो महीने तक किराया नहीं देता है, तो मकान मालिक उसे घर खाली करने के लिए कह सकता है, लेकिन इसके लिए उसे 15 दिन का नोटिस देना होगा।
2. मूलभूत सुविधाओं का अधिकार:
किराएदार को बिना पूर्व सूचना के किराया बढ़ाने का अधिकार नहीं है। मकान मालिक को कम से कम तीन महीने पहले नोटिस देना होगा। इसके अलावा, किराएदार को बिजली और पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं भी मिलनी चाहिए।
3. रेंट अथॉरिटी से संपर्क:
यदि मकान में कोई खराबी आती है, तो मकान मालिक को उसे ठीक करना होगा। यदि वह ऐसा नहीं करता है, तो किराएदार किराए में कमी की मांग कर सकता है और विवाद की स्थिति में रेंट अथॉरिटी से संपर्क कर सकता है।
4. दखलंदाजी का अधिकार:
किराएदार और मकान मालिक के बीच रेंट एग्रीमेंट होना आवश्यक है। इसके बाद, मकान मालिक को किराएदार को परेशान करने का अधिकार नहीं है। यदि किराएदार घर में नहीं है, तो मकान मालिक उसके सामान को नुकसान नहीं पहुंचा सकता।
5. किराए की रसीद का अधिकार:
किराएदार को हर महीने किराए की रसीद प्राप्त करने का अधिकार है। यदि मकान मालिक बिना रसीद के किराएदार को निकालता है, तो यह कोर्ट में सबूत के रूप में काम आ सकता है।