शैलेंद्र गौर का सिक्स-स्ट्रोक इंजन: ऑटोमोबाइल में नई क्रांति

एक नई तकनीक का आगाज़
जब जुनून और मेहनत का संगम होता है, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं रह जाता। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र शैलेंद्र सिंह गौर ने इस सिद्धांत को सच साबित किया है। उन्होंने ऑटोमोबाइल क्षेत्र में एक ऐसा परिवर्तन लाया है, जिसने बड़ी-बड़ी कंपनियों को भी चौंका दिया है। लगभग 20 वर्षों की मेहनत के बाद, शैलेंद्र ने एक सिक्स-स्ट्रोक इंजन (Six-Stroke Engine) का निर्माण किया है, जो एक लीटर पेट्रोल में 176 किलोमीटर का अद्भुत माइलेज प्रदान करता है!
पेटेंट और समर्पण
कानपुर नगर के निवासी शैलेंद्र गौर वर्तमान में झूंसी, प्रयागराज में निवास करते हैं। उन्होंने 1983 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बीएससी की डिग्री प्राप्त की। टाटा मोटर्स में नौकरी के बावजूद, उनका ध्यान हमेशा रिसर्च पर रहा। उन्होंने एमएनएनआईटी और आईआईटी-बीएचयू की प्रयोगशालाओं में काम करने का अनुभव प्राप्त किया।
अपने शोध के सपने को साकार करने के लिए, शैलेंद्र ने अपने किराए के घर को प्रयोगशाला में बदल दिया। उन्होंने अपने खेत, मकान और दुकान तक बेच दिए ताकि इस आविष्कार को पूरा कर सकें। भारत सरकार ने उनकी इस तकनीक के लिए दो पेटेंट भी जारी किए हैं, और कुछ अन्य प्रक्रियाधीन हैं।
उच्च दक्षता और कम प्रदूषण
शैलेंद्र गौर का दावा है कि उनका सिक्स-स्ट्रोक इंजन मौजूदा इंजनों की तुलना में तीन गुना अधिक कुशल है और यह लगभग 70 प्रतिशत ऊर्जा का उपयोग करने में सक्षम है। उन्होंने बताया कि उन्होंने अपनी अनोखी बाइक का प्रदर्शन एक टीवी चैनल के कार्यक्रम में किया था, जिसमें बाइक ने एक लीटर में 120 किमी की दूरी तय की।
यह सिक्स-स्ट्रोक इंजन किसी भी ईंधन वाले वाहन में लगाया जा सकता है – चाहे वह बाइक, कार, बस, ट्रक या पानी का जहाज हो! शैलेंद्र के अनुसार, यह इंजन न केवल माइलेज बढ़ाता है, बल्कि प्रदूषण को भी कम करता है। इसमें कार्बन मोनोऑक्साइड और अन्य हानिकारक गैसों का उत्सर्जन लगभग नगण्य है।
परीक्षण के नतीजे: 176 किमी प्रति लीटर
शैलेंद्र सिंह गौर ने अपनी तकनीक का परीक्षण एक 100 सीसी की टीवीएस बाइक (2017 मॉडल) पर किया। परिणाम बेहद चौंकाने वाले थे:
- बाइक 50 मिली पेट्रोल में 35 मिनट तक लगातार चालू रही।
- इस दौरान इसने 176 किलोमीटर प्रति लीटर का अद्भुत माइलेज दिया।
- पहले यह बाइक केवल 12.40 मिनट तक ही चलती थी।
यह नया इंजन पारंपरिक तकनीक की तुलना में कई गुना अधिक सक्षम साबित हुआ है, जो टिकाऊ, पर्यावरण के अनुकूल और कम प्रदूषणकारी है।
अब शैलेंद्र गौर को उम्मीद है कि सरकार, निवेशक या ऑटोमोबाइल उद्योग के बड़े खिलाड़ी इस तकनीक को बड़े पैमाने पर उत्पादन में लाने के लिए आगे आएं, ताकि इसका लाभ आम जनता तक पहुंच सके।