मध्यप्रदेश का हिरण्यगर्भा अभियान: पशुधन विकास में नई ऊँचाइयाँ
हिरण्यगर्भा अभियान की सफलता
भोपाल
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बताया कि मध्यप्रदेश में पशुधन विकास की अपार संभावनाएँ हैं। इन संभावनाओं को साकार करने के लिए पशुओं का नस्ल सुधार एक महत्वपूर्ण कदम है। इसी दिशा में राज्य सरकार ने हिरण्यगर्भा अभियान की शुरुआत की है। डॉ. यादव ने कहा कि केंद्र सरकार के निर्देशों के अनुसार, अगले पांच वर्षों में कृत्रिम गर्भाधान (आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन) का कवरेज 50 प्रतिशत तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। इस वित्तीय वर्ष में, 28.04 लाख मादा पशुओं में से लगभग 33 प्रतिशत गौवंशीय और भैंस वंशीय पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। अप्रैल से नवंबर 2025 के बीच, 11.76 लाख से अधिक पशुओं का कृत्रिम गर्भाधान किया गया है, जिससे उल्लेखनीय प्रगति हुई है।
हिरण्यगर्भा अभियान ने मध्यप्रदेश में पशुपालन को लाभकारी व्यवसाय बनाने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हाल ही में हुई 20वीं पशु संगणना के अनुसार, प्रदेश में 290.57 लाख से अधिक गौवंशीय और भैंस वंशीय पशु हैं, जिनमें से 77.18 लाख (लगभग 27 प्रतिशत) उन्नत नस्ल के हैं।
मुख्यमंत्री ने बताया कि पशुधन विकास की केंद्रीय योजनाओं के कार्यान्वयन में मध्यप्रदेश अग्रणी है। नेशनल एनिमल डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम (एनएडीसीपी) के तहत फुट-एंड-माउथ-डिजीज (एफएमडी) का टीकाकरण किया जा रहा है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में चौथे और पांचवें चरण में मध्यप्रदेश ने देश में सबसे अधिक पशुओं का टीकाकरण किया है। वर्तमान में छठा चरण चल रहा है, जिसमें 154.16 लाख पशुओं का टीकाकरण किया जा चुका है।
इसके अलावा, राष्ट्रीय पशुधन मिशन के अंतर्गत मध्यप्रदेश ने राष्ट्रीय स्तर पर दूसरा स्थान प्राप्त किया है। हिरण्यगर्भा अभियान का एक महत्वपूर्ण पहलू गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाना भी है। प्रदेश की 691 चयनित गौशालाओं में कृत्रिम गर्भाधान किया जा रहा है, जिससे नस्ल और गुणवत्ता में सुधार होगा।
पशुपालन एवं डेयरी विभाग के संचालक ने बताया कि कृत्रिम गर्भाधान की घर पहुंच सेवा उपलब्ध कराने के लिए 2014-15 से हर पंचायत में बहुउद्देशीय कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ता (मैत्री) तैयार किए जा रहे हैं। इस वित्तीय वर्ष में 2399 मैत्री कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया गया है। अब तक 1.28 लाख से अधिक पशुओं का कृत्रिम गर्भाधान किया जा चुका है।
हिरण्यगर्भा अभियान और केंद्रीय योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन से मध्यप्रदेश पशुधन विकास और नस्ल सुधार के क्षेत्र में एक आदर्श राज्य के रूप में उभर रहा है। इससे पशुपालकों की आय में वृद्धि हो रही है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है।
