भारतीय वैज्ञानिकों की नई खोज: स्ट्रोक के इलाज के लिए सस्ता डिवाइस
स्ट्रोक के लिए नया डिवाइस
ब्रेन क्लॉट हटाने की क्षमता वाला डिवाइस
जब मस्तिष्क की नसों में खून जमता है, तो यह ब्रेन स्ट्रोक का कारण बनता है। इस स्थिति में दवाओं के माध्यम से क्लॉट को हटाया जाता है, लेकिन भारतीय वैज्ञानिकों ने एक ऐसा डिवाइस विकसित किया है जो इन क्लॉट्स को आसानी से निकाल सकता है। यह डिवाइस पुडुचेरी के जवाहरलाल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्टग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (JIPMER) द्वारा बनाया गया है और इसे Supernova Stent Retriever नाम दिया गया है। यह स्ट्रोक के मरीजों के लिए एक नई आशा लेकर आया है और इसे क्लीनिकल परीक्षण के बाद DCGI से मंजूरी भी मिल गई है।
JIPMER के न्यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. सुनील नारायण के अनुसार, यह डिवाइस स्ट्रोक के 7 से 8 घंटे बाद भी क्लॉट को निकालने में सक्षम है। इसे मरीज की नसों में एक कैथेटर के माध्यम से डाला जाता है, जो क्लॉट को पकड़कर बाहर खींच लेता है। इस तकनीक से स्ट्रोक के मरीजों का क्लॉट हटाने में मदद मिलेगी और इससे होने वाली मौतों की संख्या में कमी आ सकती है।
डॉ. सुनील ने बताया कि इस डिवाइस की लागत विदेशी उपकरणों की तुलना में 50 से 70 प्रतिशत कम हो सकती है। यदि ऐसा होता है, तो लोगों को सस्ती चिकित्सा सेवाएं मिलेंगी। वर्तमान में क्लीनिकल ट्रायल सफल रहे हैं और मंजूरी भी मिल गई है। यदि भविष्य में इसे भारत में निर्मित किया गया, तो ब्रेन स्ट्रोक के मामलों में मरीजों को समय पर बेहतर इलाज मिल सकेगा। क्योंकि क्लॉट को जितनी जल्दी हटाया जाएगा, मरीज की स्थिति उतनी ही बेहतर होगी।
विदेशी उपकरणों की उच्च लागत
भारत में क्लॉट हटाने के लिए अब तक विदेशी उपकरणों का उपयोग किया जाता था, जो काफी महंगे होते हैं। लेकिन यह नई तकनीक भारत को स्ट्रोक के इलाज में आत्मनिर्भर बना सकती है। यदि इस डिवाइस को अस्पतालों में बड़े पैमाने पर लागू किया गया, तो इससे कम लागत में अधिक लाभ होगा। चूंकि दवाएं स्ट्रोक के तीन से चार घंटे के भीतर ही प्रभावी होती हैं, यह डिवाइस अधिक प्रभावी साबित होगा।
भारत में स्ट्रोक के आंकड़े
हर 4 मिनट में एक व्यक्ति स्ट्रोक का शिकार होता है।
60% मरीज समय पर अस्पताल नहीं पहुंचते हैं।
केवल 5% मरीज ही समय पर क्लॉट हटाने वाले इलाज तक पहुंच पाते हैं।
लक्षणों की जानकारी न होना एक बड़ी समस्या है।
ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण
अचानक चक्कर आना।
धुंधला दिखना।
चलने-फिरने में कठिनाई।
अचानक शरीर के किसी हिस्से का सुन्न होना।
