भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला का अंतरिक्ष मिशन: खेती और वापसी की तैयारी
भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अपने अंतरिक्ष मिशन के अंतिम चरण में हैं, जहां उन्होंने अंतरिक्ष में मेथी और मूंग उगाने का प्रयोग किया है। 14 जुलाई को उनकी पृथ्वी पर वापसी की योजना है, लेकिन तकनीकी और मौसमी कारणों से इसमें 3-4 दिन की देरी हो सकती है। जानें उनके अनुभव और अंतरिक्ष में बिताए गए समय के बारे में।
Jul 11, 2025, 12:26 IST
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अंतरिक्ष में अविस्मरणीय अनुभव
भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला 14 जुलाई को पृथ्वी पर लौटने की योजना बना रहे हैं। इस दौरान, उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर एक यादगार शाम बिताई। नासा के अंतरिक्ष यात्री जॉनी किम ने हाल ही में एक्स पर साझा की गई तस्वीरों में एक्स-4 चालक दल के सदस्य कक्षा में एक साथ भोजन करते हुए नजर आ रहे हैं। किम ने लिखा कि यह मिशन उनके लिए सबसे अविस्मरणीय शामों में से एक थी, जब उन्होंने नए दोस्तों के साथ भोजन किया और विभिन्न पृष्ठभूमियों और देशों के लोगों के बीच मानवता के प्रतिनिधित्व पर चर्चा की।
वापसी में देरी के कारण
3-4 दिन की देरी क्यों हो रही?
Axiom-4 मिशन के क्रू की धरती पर वापसी में 3-4 दिन की देरी के पीछे कई तकनीकी और मौसमी कारण हो सकते हैं। इस मिशन की शुरुआत 25 जून को हुई, जब स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट ने चार अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट 'ग्रेस' को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने एक मीडिया एडवाइजरी में बताया है कि उनके अंतरिक्ष यात्री स्टावोस उजनांस्की-विश्नेव्स्की और पूरी टीम की वापसी 14 जुलाई से पहले नहीं होगी। यह तारीख अस्थायी है और ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट के अनडॉकिंग शेड्यूल और पृथ्वी पर अनुकूल लैंडिंग परिस्थितियों पर निर्भर करती है।
अंतरिक्ष में खेती का प्रयोग
अंतरिक्ष में खेती
भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला अपने मिशन के अंतिम चरण में किसान बन गए हैं, और वह अंतरिक्ष में मेथी और मूंग उगाने का प्रयास कर रहे हैं। शुभांशु इस समय इंटरनैशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर Axiom-4 मिशन के तहत अपने तीन साथियों के साथ 12 दिन से हैं। यदि मौसम अनुकूल रहा, तो वे 10 जुलाई के बाद कभी भी धरती पर लौट सकते हैं। लौटने से पहले, उन्होंने मेथी और मूंग के बीजों के अंकुरण की तस्वीरें खींची और उन्हें वैज्ञानिक अध्ययन के लिए फ्रीजर में रख दिया। यह अध्ययन यह जानने के लिए किया जा रहा है कि माइक्रोग्रैविटी का बीजों की अंकुरण प्रक्रिया और प्रारंभिक विकास पर क्या प्रभाव पड़ता है।