भारत में रूसी तेल के आयात में कमी की संभावना, अमेरिकी प्रतिबंधों का प्रभाव

अमेरिका द्वारा रूसी कच्चे तेल के प्रमुख आयातकों पर नए प्रतिबंधों के लागू होने के बाद, भारत में रूसी तेल के आयात में कमी की संभावना जताई जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि दिसंबर और जनवरी में इस आयात में स्पष्ट गिरावट आएगी, जबकि नवंबर में यह अभी भी उच्च स्तर पर है। जानें कि कैसे ये प्रतिबंध भारतीय रिफाइनरों और तेल बाजार को प्रभावित कर सकते हैं।
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रूसी तेल के आयात पर अमेरिकी प्रतिबंधों का असर

अमेरिका द्वारा रूसी कच्चे तेल के प्रमुख आयातकों पर लगाए गए नए प्रतिबंधों के लागू होने के बाद, एनर्जी मार्केट के विश्लेषकों का मानना है कि भारत में रूसी तेल का आयात निकट भविष्य में तेजी से घटेगा, हालांकि यह पूरी तरह से समाप्त नहीं होगा। रॉसनेफ्ट और लुकोइल तथा उनकी बहुलांश स्वामित्व वाली सहायक कंपनियों पर यह बैन 21 नवंबर से प्रभावी हो गया है, जिससे इन कंपनियों के लिए कच्चे तेल की खरीद-फरोख्त लगभग असंभव हो गई है.


इस वर्ष भारत ने औसतन 17 लाख बैरल प्रतिदिन रूसी तेल का आयात किया, और प्रतिबंधों से पहले यह स्तर बना रहा। नवंबर में, इंपोर्ट का अनुमान 1819 लाख बैरल प्रतिदिन रहने का है, क्योंकि रिफाइनर सस्ते तेल की अधिकतम खरीद कर रहे हैं। हालांकि, दिसंबर और जनवरी में आपूर्ति में स्पष्ट कमी आने की संभावना है, जो लगभग चार लाख बैरल प्रतिदिन तक गिर सकती है। भारत ने फरवरी 2022 में यूक्रेन पर हमले के बाद से रूस से अपने तेल आयात में काफी वृद्धि की है.


पश्चिमी प्रतिबंधों और यूरोपीय मांग में कमी के कारण, रूस से तेल भारी छूट पर उपलब्ध हुआ, जिससे भारत का रूसी कच्चा तेल आयात कुल आयात का एक प्रतिशत से बढ़कर लगभग 40 प्रतिशत तक पहुंच गया। नवंबर में भी, रूस भारत का सबसे बड़ा सप्लायर बना रहा, जो कुल आयात का लगभग एक तिहाई है.


रूसी तेल की आपूर्ति में कमी की संभावना

केप्लर के रिफाइनिंग और मॉडलिंग के मुख्य अनुसंधान विश्लेषक सुमित रितोलिया ने कहा कि हम निकट भविष्य में, विशेषकर दिसंबर और जनवरी में, भारत के लिए रूसी कच्चे तेल के प्रवाह में स्पष्ट गिरावट की उम्मीद करते हैं। अक्टूबर 21 से सप्लाई धीमी हो गई है, लेकिन रूस की मध्यस्थता और वैकल्पिक वित्त प्रबंधन की क्षमता को देखते हुए अभी अंतिम निष्कर्ष निकालना जल्दी होगा। प्रतिबंधों के लागू होने के कारण रिलायंस इंडस्ट्रीज, एचपीसीएल, मित्तल एनर्जी और मैंगलोर रिफाइनरी जैसी कंपनियों ने फिलहाल रूसी तेल का आयात रोक दिया है। इस मामले में नयारा एनर्जी एकमात्र अपवाद है, जो रॉसनेफ्ट समर्थित है और यूरोपीय संघ द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के बाद अन्य स्रोतों से आपूर्ति में कमी के कारण रूसी तेल पर निर्भर है.


रूसी तेल से भारतीय रिफाइनरों को लाभ

रितोलिया ने कहा कि नयारा के वादीनेर प्लांट को छोड़कर कोई भी भारतीय रिफाइनर ओएफएसी-नामित संस्थाओं से जुड़े जोखिम नहीं लेना चाहता। खरीदारों को अपने कांट्रैक्ट, सप्लाई रूट, स्वामित्व और भुगतान चैनलों को पुनः व्यवस्थित करने में समय लगेगा। विश्लेषकों का कहना है कि सस्ते रूसी तेल ने पिछले दो वर्षों में भारतीय रिफाइनरों को भारी मुनाफा दिया है और अंतरराष्ट्रीय बाजार में अस्थिरता के बावजूद पेट्रोल और डीज़ल की खुदरा कीमतों को स्थिर रखा है। भारत अपनी तेल जरूरतों का 88 फीसदी आयात से पूरा करता है। नए अमेरिकी बैन के पूरी तरह लागू होने के साथ, भारत का रूसी तेल आयात अस्थिर और अनिश्चित दौर में प्रवेश कर गया है। विशेषज्ञों के अनुसार, रूस से आने वाला तेल पूरी तरह खत्म नहीं होगा, लेकिन निकट भविष्य में प्रवाह में गिरावट आएगी.