भारत-अमेरिका संबंधों पर जयशंकर की महत्वपूर्ण प्रेस वार्ता

विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने वाशिंगटन में एक प्रेस वार्ता में भारत और अमेरिका के संबंधों की गहराई, वैश्विक मंचों पर भारत की भूमिका और समसामयिक अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर भारत के दृष्टिकोण को साझा किया। उन्होंने Global South के हितों की वकालत की और भारत की विदेश नीति के 'भारत पहले' सिद्धांत पर जोर दिया। जयशंकर ने रूस-यूक्रेन युद्ध पर भारत के रुख को स्पष्ट किया और अमेरिका के साथ व्यापार समझौते की संभावनाओं पर भी चर्चा की। इस वार्ता ने भारत की वैश्विक भूमिका को और मजबूत किया है।
 | 
भारत-अमेरिका संबंधों पर जयशंकर की महत्वपूर्ण प्रेस वार्ता

भारत और अमेरिका के बीच संबंधों की गहराई

विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने वाशिंगटन में आयोजित एक प्रेस वार्ता में भारत और अमेरिका के संबंधों की गहराई, वैश्विक मंचों पर भारत की भूमिका और समसामयिक अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर भारत के दृष्टिकोण को स्पष्ट किया। उन्होंने भारत की विदेश नीति की प्राथमिकताओं, सामरिक संतुलन, व्यापारिक संबंधों और Global South के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को मजबूती से रेखांकित किया। इसके साथ ही, उन्होंने रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर अमेरिका द्वारा लगाए जाने वाले भारी टैक्स के संदर्भ में भारत का रुख भी साझा किया। प्रेस वार्ता में जयशंकर ने भारत-पाकिस्तान और भारत-चीन संबंधों पर भी सवालों के जवाब दिए।


भारत और अमेरिका के बीच सहयोग के क्षेत्र

जयशंकर ने कहा कि भारत और अमेरिका के संबंध केवल रणनीतिक साझेदारी तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह तकनीकी सहयोग, रक्षा विनिर्माण, शिक्षा, स्वच्छ ऊर्जा और वैश्विक शासन में सुधार जैसे विभिन्न क्षेत्रों में विस्तारित हो चुके हैं। उन्होंने साझा मूल्यों और पारस्परिक सम्मान को इस रिश्ते की नींव बताया।


Global South के हितों की वकालत

प्रेस वार्ता में एक महत्वपूर्ण बिंदु यह रहा कि भारत Global South के हितों की प्रभावी ढंग से वकालत कर रहा है। जयशंकर ने स्पष्ट किया कि भारत केवल अपने लिए नहीं, बल्कि उन विकासशील देशों के लिए भी बोल रहा है जिन्हें अक्सर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अनदेखा किया जाता है। भारत की G20 अध्यक्षता के दौरान Global South के मुद्दों को प्राथमिकता देना इसी नीति का प्रमाण है।


चीन के संदर्भ में भारत का दृष्टिकोण

चीन के संदर्भ में पूछे गए प्रश्नों के उत्तर में जयशंकर ने संयमित लेकिन स्पष्ट रवैया अपनाया। उन्होंने कहा कि भारत क्षेत्रीय स्थायित्व का पक्षधर है और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में स्वतंत्रता और कानून आधारित व्यवस्था बनाए रखने के लिए अमेरिका और अन्य समान विचारधारा वाले देशों के साथ सहयोग करेगा। हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत अपनी रणनीतिक स्वायत्तता को बनाए रखेगा।


रूस-यूक्रेन युद्ध पर भारत का रुख

रूस-यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में जयशंकर ने दोहराया कि भारत युद्ध का पक्ष नहीं लेता बल्कि शांति और संवाद के माध्यम से समाधान चाहता है। उन्होंने बताया कि भारत ने मानवीय सहायता के रूप में यूक्रेन को कई सहायता पैकेज भेजे हैं और युद्ध से प्रभावित देशों की सहायता के लिए तत्पर है।


भारत की विदेश नीति का सिद्धांत

जयशंकर ने प्रेस वार्ता में बार-बार इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत की विदेश नीति 'भारत पहले' (India First) के सिद्धांत पर आधारित है। भारत किसी भी गठबंधन का हिस्सा नहीं बनता बल्कि मुद्दा आधारित साझेदारी में विश्वास रखता है। यह स्पष्ट करता है कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों के अनुसार निर्णय लेता है, न कि किसी दबाव में।


ऊर्जा सुरक्षा पर भारत की चिंताएँ

जयशंकर ने अमेरिका के रिपब्लिकन सीनेटर लिंडसे ग्राहम के साथ अपनी ऊर्जा सुरक्षा संबंधी चिंताओं को साझा किया। ग्राहम ने उस विधेयक को लाया है जिसमें रूस के साथ व्यापार करने वाले देशों पर 500% तक आयात शुल्क लगाने का प्रस्ताव है। जयशंकर ने कहा, “हमने अपनी चिंताएं उनके समक्ष रखी हैं। यदि यह स्थिति आती है, तो हम उसका समाधान ढूंढ़ने का प्रयास करेंगे।”


भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौता

जयशंकर ने संकेत दिया कि भारत और अमेरिका के बीच एक महत्वपूर्ण व्यापार समझौता अंतिम चरण में है, जिसे जल्द ही लागू किया जा सकता है। इस समझौते से अमेरिका द्वारा लगाए गए भारी शुल्कों में कमी आने की संभावना है, जिससे भारतीय निर्यातकों को राहत मिल सकती है।


भारत की आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई

जयशंकर ने कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने दुनिया को स्पष्ट संदेश दिया है कि भारत आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करेगा। उन्होंने कहा, ‘‘क्वाड के बयान और सुरक्षा परिषद द्वारा जारी बयान में यह महत्वपूर्ण है कि आतंकवाद के अपराधियों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।’’


भारत की वैश्विक भूमिका

जयशंकर ने कहा कि भारत अब केवल एक क्षेत्रीय शक्ति नहीं, बल्कि एक जिम्मेदार वैश्विक भागीदार के रूप में उभर चुका है। अमेरिका जैसे वैश्विक साझेदारों के साथ संबंधों को सुदृढ़ करते हुए भारत वैश्विक राजनीति में एक निर्णायक भूमिका निभाने की दिशा में अग्रसर है।