प्रोफेसर सुरहुद श्रीकांत मोरे को मिला राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार

पुणे के प्रोफेसर सुरहुद श्रीकांत मोरे को 2025 का राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार मिला है। उन्हें यह सम्मान ब्रह्मांड की संरचनाओं और मौलिक बलों पर उनके उत्कृष्ट शोध के लिए दिया गया। प्रोफेसर मोरे ने जर्मनी के मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट से पीएचडी की है और वर्तमान में IUCAA में फैकल्टी सदस्य हैं। उनके कार्यों ने ब्रह्मांड के विकास और उसके बलों को समझने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। जानें उनके शोध और उपलब्धियों के बारे में।
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प्रोफेसर सुरहुद श्रीकांत मोरे को मिला राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार

प्रोफेसर सुरहुद मोरे का परिचय

प्रोफेसर सुरहुद श्रीकांत मोरे को मिला राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार

पुणे के प्रोफेसर सुरहुद मोरे


प्रोफेसर सुरहुद श्रीकांत मोरे: पुणे में स्थित IUCAA के प्रोफेसर सुरहुद मोरे को 2025 का प्रतिष्ठित राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार, विज्ञान युवा शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार (भौतिकी) से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार उन्हें ब्रह्मांड की विशाल संरचनाओं और मौलिक बलों पर उनके उत्कृष्ट शोध के लिए दिया गया है। आइए जानते हैं कि प्रोफेसर मोरे ने अपनी शिक्षा कहां से प्राप्त की और वर्तमान में वे क्या कर रहे हैं।


शिक्षा का सफर

प्रोफेसर सुरहुद श्रीकांत मोरे एक प्रसिद्ध खगोल भौतिकी और कॉस्मोलॉजी के विशेषज्ञ हैं। उन्होंने जर्मनी के मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर एस्ट्रोनॉमी से पीएचडी की डिग्री हासिल की। उच्च शिक्षा के बाद, उन्होंने कई अंतरराष्ट्रीय शोध संस्थानों में कार्य किया। वे कावली इंस्टीट्यूट फॉर द फिजिक्स एंड मैथमेटिक्स ऑफ द यूनिवर्स में प्रोजेक्ट रिसर्चर के रूप में भी कार्यरत रहे, जहां उन्होंने ब्रह्मांड की संरचना से संबंधित महत्वपूर्ण शोध किए।


प्रोफेसर मोरे का कार्य

वर्तमान में, वे पुणे के इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स (IUCAA) में फैकल्टी सदस्य हैं। उनका शोध मुख्य रूप से कॉस्मोलॉजी, गैलेक्सी फॉर्मेशन और ब्रह्मांड की बड़ी संरचनाओं को समझने पर केंद्रित है। इसके साथ ही, उन्हें आउटर सोलर सिस्टम से संबंधित विषयों में भी गहरी रुचि है। उनके शोध ने यह स्पष्ट किया है कि ब्रह्मांड कैसे विकसित होता है और उसमें मौजूद बल किस प्रकार कार्य करते हैं।


उपलब्धियों की सूची

2025 में, प्रो. मोरे को विज्ञान युवा शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार (भौतिकी) से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार देश के प्रतिभाशाली युवा वैज्ञानिकों को उनके असाधारण योगदान के लिए दिया जाता है। यह सम्मान उनके वैज्ञानिक दृष्टिकोण, गहन शोध और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किए गए कार्यों की पहचान है।


प्रो. सुरहुद मोरे न केवल भारतीय विज्ञान को नई दिशा दे रहे हैं, बल्कि वे आने वाली पीढ़ी के वैज्ञानिकों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी हैं। उनके कार्य भारत के भविष्य के वैज्ञानिक नेतृत्व का एक मजबूत उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। उनके इस सम्मान से यह स्पष्ट होता है कि भारतीय वैज्ञानिक वैश्विक मंच पर अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं।


अन्य महत्वपूर्ण जानकारी

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