जीतिया व्रत: मातृत्व और संतान सुरक्षा का प्रतीक

जीतिया धागे का महत्व
माताएँ हर साल आश्विन महीने में जीतिया व्रत का पालन करती हैं, ताकि उनके बच्चों की लंबी उम्र, खुशहाली और समृद्धि की कामना की जा सके। यह व्रत विशेष रूप से बेटियों के लिए किया जाता है, जिसे जीवित पुत्रिका व्रत भी कहा जाता है। इस दिन माताएँ निर्जला व्रत रखती हैं और भगवान जिमुतवाहन की पूजा करती हैं। 'जीतिया' धागा पहनना इस व्रत की एक महत्वपूर्ण परंपरा है। माना जाता है कि इसे न पहनने से व्रत अधूरा रह जाता है। यह धागा बच्चे की सुरक्षा और दीर्घायु का प्रतीक है और मातृत्व की शक्ति और समर्पण को दर्शाता है। आइए ज्योतिषी रवि पराशर से जानते हैं।
जीतिया व्रत कब मनाया जाएगा?
इस वर्ष, जीतिया व्रत 14 सितंबर 2025, रविवार को मनाया जाएगा। यह दिन माताओं के लिए बहुत खास माना जाता है, क्योंकि इस दिन वे अपने बच्चों की लंबी उम्र, खुशहाली और समृद्धि के लिए पूर्ण श्रद्धा और समर्पण के साथ व्रत करती हैं।
जीतिया धागे की परंपरा और महत्व
जीतिया व्रत में 'जीतिया' या धागा बांधने की परंपरा बहुत पुरानी है। यह न केवल धार्मिक विश्वास से जुड़ी है, बल्कि यह बच्चों के लिए सुरक्षा और दीर्घायु का प्रतीक भी है। माताएँ इस धागे को अपने हाथ में बांधती हैं और मानती हैं कि इसके बिना व्रत अधूरा रह सकता है। धार्मिक और लोक विश्वास इसे व्रत की सफलता से जोड़ते हैं।
जीवित पुत्रिका व्रत का उद्देश्य
जीतिया व्रत का मुख्य उद्देश्य बच्चों की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करना है। माताएँ इस दिन निर्जला व्रत रखती हैं और भगवान जिमुतवाहन की विधिपूर्वक पूजा करती हैं। यह व्रत विशेष रूप से बेटियों के लिए रखा जाता है, ताकि उनके जीवन में खुशियाँ और सुरक्षा बनी रहे।
व्रत की सफलता में जीतिया का योगदान
'जीतिया' केवल एक धागा नहीं है, बल्कि यह विश्वास और सुरक्षा का प्रतीक है। माना जाता है कि यदि व्रति इसे नहीं पहनती है, तो व्रत अधूरा रह जाता है। व्रत की सफलता और इसके परिणाम इस धागे से जुड़े होते हैं। कहा जाता है कि जीतिया के बिना व्रत का बच्चों के स्वास्थ्य और उम्र पर अपेक्षित प्रभाव नहीं पड़ता।
लोक विश्वास और दुष्प्रभाव
परंपरा के अनुसार, महिलाएँ पीढ़ियों से जीतिया पहनती आ रही हैं। माना जाता है कि यह बच्चों को आने वाले खतरों से बचाता है और उन्हें समय से पहले मृत्यु के भय से मुक्त रखता है। ग्रामीण क्षेत्रों में यह भी माना जाता है कि जीतिया के बिना व्रत रखने से बच्चों को नुकसान हो सकता है, और व्रति मानसिक अशांति का अनुभव कर सकती है। धार्मिक दृष्टिकोण से इसे 'सुरक्षा सूत्र' का दर्जा भी दिया गया है।
जीतिया: मातृत्व और संतान सुरक्षा का प्रतीक
जीतिया धागा बच्चे की दीर्घायु के साथ-साथ मातृत्व की शक्ति और समर्पण का प्रतीक है। इसलिए, माताएँ पूजा के बाद इसे अवश्य पहनती हैं। इसके बिना व्रत का महत्व अधूरा माना जाता है, और बच्चे की लंबी उम्र और सुरक्षा की कामना पूरी नहीं होती।
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