जागेश्वर धाम: कुबेर की पूजा का रहस्य और शिव का आशीर्वाद

जागेश्वर धाम का महत्व

जागेश्वर धाम
जागेश्वर धाम, उत्तराखंड: भारत में भगवान शिव के अनेक प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर हैं, जहां उन्हें विभिन्न रूपों में पूजा जाता है। उत्तराखंड के अल्मोड़ा से 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित जागेश्वर धाम, कुमाऊं हिमालय में बसा हुआ है और भक्तों के लिए एक पवित्र स्थल है। यहां 124 छोटे-बड़े मंदिरों का समूह है, जिसमें कुबेर भंडारी मंदिर भी शामिल है। इस मंदिर में कुबेर महाराज को शिव जी के रूप में पूजा जाता है। आइए जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कथा।
कुबेर महाराज को धन के देवता माना जाता है। एक समय वे गर्व और समृद्धि के साथ शासन करते थे, लेकिन उनके सौतेले भाई रावण ने उन्हें पराजित कर उनका राजपाट छीन लिया। इस हार के बाद कुबेर महाराज पर्वतों की ओर चले गए।
कुबेर की भक्ति और शिव जी का आशीर्वाद
इस दौरान कुबेर का मन धन-संपत्ति की बजाय शांति की खोज में था। वे उस घाटी में पहुंचे, जहां शिव जी ने सती की मृत्यु के बाद ध्यान लगाया था। घाटी की हवा अब भी शिव जी की तपस्या से प्रभावित थी। कुबेर ने घुटनों के बल शिव जी से प्रार्थना की, जिससे शिव जी उनकी भक्ति से प्रसन्न हुए।
मनोकामनाओं की पूर्ति
इसके बाद शिव जी ने उस घाटी को कुबेर महाराज को आशीर्वाद के रूप में दिया। तब से जागेश्वर धाम कुबेर का निवास बन गया। मान्यता है कि धन के देवता कुबेर ने यहां शिव जी की पूजा की और समृद्धि का आशीर्वाद लिया। कहा जाता है कि जो भी यहां सच्चे मन से प्रार्थना करता है, उसकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
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