क्या लिपस्टिक में मछली का तेल होता है? जानें इसके निर्माण की प्रक्रिया

क्या लिपस्टिक में मछली का तेल होता है? यह सवाल अक्सर उठता है। इस लेख में हम लिपस्टिक के निर्माण की प्रक्रिया और इसमें उपयोग होने वाली सामग्रियों के बारे में जानेंगे। क्या जानवरों के अंगों का भी उपयोग होता है? जानें इस लेख में!
 | 
क्या लिपस्टिक में मछली का तेल होता है? जानें इसके निर्माण की प्रक्रिया

क्या लिपस्टिक में मछली के तेल का उपयोग होता है?

क्या लिपस्टिक में मछली का तेल होता है? जानें इसके निर्माण की प्रक्रिया


लिपस्टिक का उपयोग हर महिला अपने मेकअप में करती है, चाहे वह मेकअप की शौकीन हो या नहीं। बाजार में लिपस्टिक के कई रंग और शेड्स उपलब्ध हैं, लेकिन बहुत से लोग यह नहीं जानते कि लिपस्टिक किस सामग्री से बनती है। क्या इसमें मछली के तेल का उपयोग होता है? आइए इस पर चर्चा करते हैं!


लिपस्टिक बनाने की प्रक्रिया

हां, लिपस्टिक में कभी-कभी मछली के तेल का उपयोग किया जाता है। लिपस्टिक बनाने में अक्सर शार्क लिवर ऑयल (स्क्वालीन) और मछली के स्केल (गुआनिन) का इस्तेमाल किया जाता है, जो नमी और चमक बढ़ाने में मदद करते हैं। इसके अलावा, लिपस्टिक में वैक्स, रंग, सुगंध और ग्लॉस जैसी अन्य सामग्रियों का भी समावेश होता है। कंपनियां लिपस्टिक में कई अन्य सामग्री का उपयोग करती हैं, लेकिन उनकी जानकारी आमतौर पर साझा नहीं की जाती।


लिपस्टिक बनाने की प्रक्रिया में सबसे पहले पिगमेंट को फिक्स किया जाता है। ये रंग होते हैं, जिन्हें मिलाकर विभिन्न रंग और शेड्स बनाए जाते हैं। फिर इन्हें तेल के साथ मिलाया जाता है, जिसमें तेल और पिगमेंट का अनुपात 2:1 होता है।


इसके बाद, मोल्डिंग प्रक्रिया की जाती है, जिसमें मिश्रण को एक विशेष तापमान पर तैयार किया जाता है और फिर जल्दी से ठंडा किया जाता है। इस प्रक्रिया में यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि मिश्रण में हवा न आए। ठंडा होने के बाद, उत्पाद को सांचों से बाहर निकालकर इसकी छड़ें बनाई जाती हैं, और कुछ फिनिशिंग कार्य के बाद इन्हें बाजार में बिक्री के लिए भेज दिया जाता है!


जानवरों का उपयोग

प्राचीन काल से लिपस्टिक बनाने में जानवरों और कीड़ों के विभिन्न अंगों का उपयोग होता रहा है। हालांकि, हाल के समय में शाकाहारी उत्पादों की मांग बढ़ी है। कुछ ब्रांड अब शाकाहारी सौंदर्य प्रसाधन बनाने लगे हैं, लेकिन अभी भी कई मेकअप उत्पादों में जानवरों की खाल और अन्य अंगों का उपयोग किया जा रहा है।