क्या 70 साल पुराना CGHS खत्म होगा? जानें नई स्वास्थ्य योजना के बारे में

CGHS का महत्व
CGHS केवल केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के लिए एक कार्ड नहीं है। 1954 में इसकी स्थापना के बाद से, यह योजना सरकारी कर्मचारियों और उनके परिवारों के लिए एक सहारा प्रणाली के रूप में कार्य करती आ रही है। यह स्वास्थ्य योजना केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए एक महत्वपूर्ण आधार बन गई है। 7वें वेतन आयोग ने इस योजना को मजबूत करने के लिए कई सुधार भी पेश किए हैं। 7वें वेतन आयोग की अवधि (2016-2025) अब अपने अंतिम चरण में है, और इस दौरान सरकार ने 2025 में कई महत्वपूर्ण सुधार लागू किए।
क्या 70 साल पुराना CGHS खत्म होगा?
मंत्रालय से मिली रिपोर्टों के अनुसार, यह संभव है कि 8वें वेतन आयोग की सिफारिशों के साथ, सरकार CGHS को एक नई, आधुनिक और बीमा आधारित स्वास्थ्य योजना से बदल दे।
7वें वेतन आयोग के दौरान प्रमुख सुधार
7वें वेतन आयोग के दौरान CGHS में लगातार डिजिटल और संरचनात्मक परिवर्तन हुए।
वार्ड आवंटन में बदलाव: कर्मचारी जिस प्रकार के अस्पताल वार्ड का उपयोग कर सकते हैं—सामान्य, सेमी-प्राइवेट, या प्राइवेट—यह उनके मूल वेतन पर निर्भर करता है। उच्च वेतन वाले कर्मचारियों को बेहतर वार्ड का उपयोग करने की अनुमति होती है, जबकि निम्न वेतन वाले कर्मचारियों को बुनियादी वार्ड तक सीमित रखा जाता है।
ABHA ID से लिंक करना: प्रारंभ में सरकार ने CGHS कार्ड को आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाते (ABHA) से जोड़ने का प्रयास किया। हालांकि, इसे अनिवार्य बनाने का निर्णय बाद में स्थगित कर दिया गया।
जिन कर्मचारियों का वेतन CGHS योगदान के लिए काटा जाता है, उन्हें अब कार्डों के स्वचालित जारी करने की सुविधा दी गई है।
आसान रेफरल प्रक्रिया: अब, कर्मचारी और पेंशनर बिना रेफरल के सरकारी अस्पतालों में उपचार प्राप्त कर सकते हैं। निजी अस्पतालों में, एक ही रेफरल से तीन विशेषज्ञ डॉक्टरों से परामर्श किया जा सकता है। इस लाभ के लिए आयु सीमा 70 वर्ष तक घटा दी गई है। ये परिवर्तन कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच को बहुत आसान बना देते हैं।