अमेरिका के H-1B वीजा पर नए शुल्क का प्रभाव: भारतीय उद्योग की चिंताएँ

अमेरिका ने H-1B वीजा आवेदनों पर 100,000 डॉलर का वार्षिक शुल्क लगाने का निर्णय लिया है, जिससे भारतीय उद्योग में चिंता बढ़ गई है। सरकार इस निर्णय के सभी पहलुओं का अध्ययन कर रही है, जिसमें मानवीय परिणामों की संभावना भी शामिल है। नासकॉम ने इस कदम को वैश्विक व्यापार निरंतरता और नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र के लिए बाधित करने वाला बताया है। इस नए आदेश के प्रभावों का मूल्यांकन किया जा रहा है, और भारतीय कंपनियाँ H-1B वीजा पर अपनी निर्भरता को कम करने की कोशिश कर रही हैं।
 | 
अमेरिका के H-1B वीजा पर नए शुल्क का प्रभाव: भारतीय उद्योग की चिंताएँ

H-1B वीजा शुल्क का अध्ययन

सरकार ने शनिवार को बताया कि अमेरिका द्वारा H-1B वीजा आवेदनों पर 100,000 डॉलर का वार्षिक शुल्क लगाने के निर्णय के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जा रहा है, जिसमें भारतीय उद्योग भी शामिल है। इस कदम के मानवीय परिणाम हो सकते हैं, खासकर परिवारों में होने वाली बाधाओं के कारण।


उद्योग की प्रतिक्रिया

विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा कि भारत और अमेरिका दोनों के उद्योग नवाचार और रचनात्मकता में रुचि रखते हैं और वे आगे के लिए सबसे अच्छे रास्ते पर परामर्श कर सकते हैं।


प्रवक्ता ने कहा, "सरकार ने H-1B वीजा कार्यक्रम पर प्रस्तावित प्रतिबंधों से संबंधित रिपोर्टों को देखा है। इस उपाय के सभी प्रभावों का अध्ययन किया जा रहा है, जिसमें भारतीय उद्योग भी शामिल है।"


कौशल प्रतिभा की गतिशीलता

सरकार ने कहा कि कौशल प्रतिभा की गतिशीलता ने अमेरिका और भारत में नवाचार और धन सृजन में योगदान दिया है। नीति निर्माता हाल की कार्रवाइयों का मूल्यांकन करेंगे।


इसमें कहा गया, "कौशल प्रतिभा की गतिशीलता और आदान-प्रदान ने तकनीकी विकास, नवाचार, आर्थिक वृद्धि और प्रतिस्पर्धा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।"


ट्रंप का नया आदेश

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को "कुछ गैर-आव्रजन श्रमिकों के प्रवेश पर प्रतिबंध" शीर्षक से एक नया आदेश जारी किया, जो H-1B वीजा कार्यक्रम में महत्वपूर्ण बदलाव लाता है।


इसमें 100,000 डॉलर का वार्षिक शुल्क लगाया गया है, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या यह अमेरिका की तकनीकी प्रतिभा के लिए एक आवश्यक सुधार है या एक संभावित झटका।


भारतीय आईटी उद्योग की चिंताएँ

भारतीय आईटी उद्योग निकाय नासकॉम ने इस नए शुल्क को लेकर चिंता व्यक्त की है, इसे वैश्विक व्यापार निरंतरता और अमेरिका के नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र के लिए संभावित रूप से बाधित करने वाला बताया।


नासकॉम ने कहा कि इस प्रकार के महत्वपूर्ण बदलावों के दूरगामी प्रभाव हो सकते हैं।


नासकॉम की स्थिति

नासकॉम ने कहा कि इस आदेश का कार्यान्वयन एक दिन की समय सीमा में किया जाना अस्वाभाविक और बाधित करने वाला है।


उन्होंने कहा, "एक दिन की समय सीमा व्यवसायों, पेशेवरों और छात्रों के लिए अनिश्चितता पैदा करती है।"


भारतीय कंपनियों की स्थिति

नासकॉम ने यह भी बताया कि भारतीय आईटी कंपनियाँ H-1B वीजा पर अपनी निर्भरता को कम कर रही हैं और अमेरिका में स्थानीय भर्ती बढ़ा रही हैं।


उन्होंने कहा, "ये कंपनियाँ सभी आवश्यक नियमों का पालन करती हैं और स्थानीय अर्थव्यवस्था में योगदान देती हैं।"