NASA का खुलासा: थ्री गॉर्जेस डैम ने पृथ्वी की धुरी को किया प्रभावित

चीन का थ्री गॉर्जेस डैम, जो दुनिया की सबसे बड़ी हाइड्रोपावर परियोजना है, ने नासा के अनुसार पृथ्वी की धुरी को 2 सेंटीमीटर तक खिसका दिया है। इस डैम में जमा अरबों टन पानी ने पृथ्वी की घूर्णन गति में भी मामूली बदलाव किया है। जानें कैसे इस अद्भुत इंजीनियरिंग चमत्कार ने ग्रह की प्राकृतिक व्यवस्था को प्रभावित किया है और इसके पीछे का विज्ञान क्या है।
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NASA का खुलासा: थ्री गॉर्जेस डैम ने पृथ्वी की धुरी को किया प्रभावित

थ्री गॉर्जेस डैम का प्रभाव

NASA का खुलासा: थ्री गॉर्जेस डैम ने पृथ्वी की धुरी को किया प्रभावित

थ्री गॉर्जेस डैम, जो चीन में स्थित है, को विश्व की सबसे बड़ी हाइड्रोपावर परियोजना माना जाता है। हाल ही में नासा ने इस डैम के बारे में एक चौंकाने वाला तथ्य साझा किया है। वैज्ञानिकों के अनुसार, इस डैम में जमा पानी की विशाल मात्रा ने पृथ्वी की धुरी को लगभग 2 सेंटीमीटर तक खिसका दिया है। इसके अलावा, पृथ्वी की घूर्णन गति में भी हल्का सा परिवर्तन देखा गया है।

नासा के अनुसार, थ्री गॉर्जेस डैम में अरबों टन पानी संग्रहीत है। जब यह पानी पृथ्वी की सतह पर फैलने के बजाय एक स्थान पर इकट्ठा हुआ, तो इससे द्रव्यमान का वितरण बदल गया। इस बदलाव का असर पृथ्वी की घूर्णन गति पर पड़ा है। नासा ने बताया कि इस परिवर्तन के कारण दिन लगभग 0.06 माइक्रोसेकंड छोटा हो गया है।

कैसे बदली पृथ्वी की गति?
थ्री गॉर्जेस डैम, जो यांग्त्जी नदी पर स्थित है, एक अद्भुत इंजीनियरिंग उपलब्धि है। यह दुनिया का सबसे बड़ा हाइड्रोइलेक्ट्रिक डैम है, जिसे ऊर्जा उत्पादन, बाढ़ नियंत्रण और नेविगेशन सुधार के लिए बनाया गया था। इसका निर्माण 1994 में शुरू हुआ और 2012 में इसे पूरी तरह से चालू किया गया। वैज्ञानिकों ने इसे समझाने के लिए एक उदाहरण दिया है: जैसे एक फिगर स्केटर अपने हाथ फैलाकर धीमे घूमता है और हाथ समेटकर तेजी से। इसी तरह, जब द्रव्यमान स्थानांतरित होता है, तो पृथ्वी की घूर्णन गति भी प्रभावित होती है। यही कारण है कि दिन छोटे हो रहे हैं।

चीन की अद्भुत इंजीनियरिंग

थ्री गॉर्जेस डैम में इतनी मात्रा में पानी है कि यह अकेले 22,500 मेगावॉट से अधिक बिजली उत्पन्न कर सकता है। यह न केवल चीन की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करता है, बल्कि बाढ़ नियंत्रण और नेविगेशन में भी सुधार करता है। हालाँकि, अब यह स्पष्ट हुआ है कि इसकी शक्ति पृथ्वी की भौतिक संरचना पर भी प्रभाव डाल सकती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह परिवर्तन आम लोगों की दैनिक जिंदगी में महसूस नहीं किया जा सकता, लेकिन यह दर्शाता है कि बड़े पैमाने पर मानव निर्मित परियोजनाएँ ग्रह की प्राकृतिक व्यवस्था को प्रभावित कर सकती हैं। नासा ने इसे एक महत्वपूर्ण उदाहरण बताया है कि कैसे मानव द्वारा बनाई गई संरचनाएँ भी पृथ्वी की गतिशीलता पर असर डाल सकती हैं.