Android Apps से मोबाइल प्राइवेसी को खतरा: IIT दिल्ली का अध्ययन
मोबाइल प्राइवेसी पर खतरा
Mobile Privacy RiskImage Credit source: Freepik/File Photo
हाल ही में IIT दिल्ली के शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन में बताया है कि मोबाइल फोन उपयोगकर्ताओं की प्राइवेसी पर गंभीर खतरे मंडरा रहे हैं। इस अध्ययन में यह खुलासा हुआ है कि कई Android ऐप्स, जो यूजर्स से सटीक लोकेशन की अनुमति मांगते हैं, वे सुरक्षा के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। ये ऐप्स बिना यूजर की जानकारी और सहमति के संवेदनशील डेटा प्राप्त कर सकते हैं।
इस अध्ययन का शीर्षक है "AndroCon: An Android Phone-based Sensor for Ambient, Human Activity and Layout Sensing using Fine-Grained GPS Information" और इसे सेंसर नेटवर्क के एसीएम ट्रांजेक्शन नामक जर्नल में प्रकाशित किया गया है। यह शोध M.Tech छात्र Soham Nag और कंप्यूटर विज्ञान विभाग की प्रोफेसर डॉ. स्मृति आर. सारंगी द्वारा किया गया था।
IIT दिल्ली ने एक बयान में कहा कि शोध में यह पाया गया है कि छिपे हुए GPS सिग्नल केवल लोकेशन ही नहीं, बल्कि अन्य महत्वपूर्ण जानकारी भी प्रदान कर सकते हैं, जैसे कि आपकी गतिविधियाँ, आसपास का माहौल और यहां तक कि आपके कमरे की स्थिति।
फोन को सब पता है
शोधकर्ताओं ने AndroCon नामक एक सिस्टम विकसित किया है, जो बताता है कि एंड्रॉयड ऐप्स को मिलने वाला GPS डेटा कैसे छिपकर काम करता है। यदि कोई ऐप सटीक लोकेशन की अनुमति मांगता है, तो इसका मतलब है कि वह बिना माइक्रोफोन और कैमरा का उपयोग किए, केवल GPS डेटा से यह पता लगा सकता है कि यूजर लेटा है, बैठा है, या किसी सार्वजनिक स्थान पर है। यह भी पता लगा सकता है कि आपका कमरा खाली है या उसमें लोग हैं।
प्रोफेसर सारंगी ने बताया कि 40,000 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में विभिन्न फोन पर एक साल तक अध्ययन किया गया। AndroCon सिस्टम ने आसपास के वातावरण का पता लगाने में 99% सटीकता और मानवीय गतिविधियों की पहचान में 87% से अधिक सटीकता हासिल की है। यह जानकर आपको आश्चर्य हो सकता है कि फोन हाथ मिलाने जैसी गतिविधियों का भी पता लगा सकता है।
