29 वर्षीय महिला में फैटी लिवर की गंभीर स्थिति, शराब का सेवन नहीं किया
फैटी लिवर की बढ़ती समस्या

फैटी लिवर एक ऐसी बीमारी है जो तेजी से बढ़ रही है। हाल ही में दिल्ली में एक 29 वर्षीय महिला का मामला सामने आया है, जिसने कभी शराब का सेवन नहीं किया, फिर भी वह फैटी लिवर की गंभीर स्थिति में पहुंच गई। यह बीमारी ग्रेड 3 तक पहुंच गई, जहां जिगर का सड़ना शुरू हो जाता है।
यह बीमारी, जिसे आमतौर पर शराब पीने वालों से जोड़ा जाता है, अब नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) के रूप में युवाओं में भी तेजी से फैल रही है। ऑर्थो और स्पोर्ट्स सर्जन डॉ. ओबैदुर रहमान ने इस केस स्टडी को अपने इंस्टाग्राम पर साझा किया और बताया कि यह अब भारत के युवाओं के लिए एक गंभीर खतरा बन गया है।
महिला के लक्षण और डॉक्टर की प्रतिक्रिया
डॉ. रहमान ने बताया कि महिला की स्थिति देखकर वह हैरान रह गए। उसकी आंखों में पीलापन था, पैरों में सूजन थी, और उसकी चाल धीमी थी। आमतौर पर ऐसे लक्षण 60-70 साल के मरीजों में देखे जाते हैं, लेकिन यह महिला केवल 29 साल की थी।
जब डॉक्टर ने पूछा कि क्या वह शराब पीती हैं, तो महिला ने कहा, 'मैंने कभी एक घूंट भी नहीं पी।' उसकी मेडिकल हिस्ट्री साफ थी, कोई पुरानी बीमारी या दवा नहीं थी। फिर भी इतनी कम उम्र में वह ग्रेड 3 फैटी लिवर से जूझ रही थी।
जीवनशैली के कारण फैटी लिवर
महिला ने अपनी दिनचर्या साझा की, जिसमें सुबह जल्दी उठकर ऑफिस जाना, काम के बीच में स्क्रीन के सामने खाना खाना, और दिनभर एक ही कुर्सी पर बैठना शामिल था। थकावट के कारण वह रात में बाहर से खाना मंगवाती थी। वीकेंड्स में वह नींद पूरी करने और नेटफ्लिक्स देखने में समय बिताती थी। डॉक्टर ने बताया कि यह सामान्य जीवनशैली असल में खतरा बन गई है।
अधिकतर लोग मानते हैं कि फैटी लिवर केवल शराब के कारण होता है, और यही गलतफहमी इस महिला को भी थी। जब जांच में लिवर एंजाइम्स खराब पाए गए और ग्रेड 3 फैटी लिवर का निदान हुआ, तो महिला का चेहरा पीला पड़ गया।
फैटी लिवर के जोखिम कारक
डॉ. रहमान ने बताया कि भारत में हर तीन में से एक युवा इस बीमारी से प्रभावित है। इसके मुख्य कारण हैं, शुगर से भरे हेल्दी ड्रिंक्स, प्रोसेस्ड फूड, लगातार बैठे रहना, और शरीर में हल्का लेकिन लगातार बना रहने वाला इन्फ्लेमेशन। गंभीर बात यह है कि ज्यादातर लोगों को तब तक कोई लक्षण नहीं दिखते जब तक लिवर को बड़ा नुकसान नहीं हो जाता। लेकिन यदि समय रहते जीवनशैली में बदलाव किया जाए, तो इस बीमारी को रोका और रिवर्स किया जा सकता है।