संजीव सान्याल ने UPSC परीक्षा की तैयारी को बताया समय की बर्बादी

संजीव सान्याल, जो प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य हैं, ने UPSC परीक्षा की तैयारी को समय की बर्बादी बताया है। उन्होंने कहा कि यह पुरानी सोच का परिणाम है और युवाओं को स्किल्स, अप्रेंटिसशिप और AI शिक्षा की ओर बढ़ने की सलाह दी। सान्याल ने UPSC परीक्षा में असफलता की उच्च दर पर भी चिंता जताई और पारंपरिक यूनिवर्सिटी प्रणाली की आलोचना की। उनका मानना है कि छात्रों को कार्यबल में जल्दी शामिल होना चाहिए और लंबे एकेडमिक साइकल में नहीं फंसना चाहिए।
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संजीव सान्याल ने UPSC परीक्षा की तैयारी को बताया समय की बर्बादी

संजीव सान्याल का बयान

संजीव सान्याल ने UPSC परीक्षा की तैयारी को बताया समय की बर्बादी


संजीव सान्याल Image Credit source: News Media


भारत में सरकारी नौकरी पाने की चाहत हर परिवार में देखी जाती है। जब कोई सदस्य संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की परीक्षा पास कर लेता है, तो यह उपलब्धि परिवार के लिए गर्व का विषय बन जाती है। इस कारण देशभर में कई छात्र UPSC की कोचिंग ले रहे हैं। दिल्ली और अन्य राज्यों में UPSC कोचिंग सेंटरों में छात्रों की भीड़ देखी जा सकती है। लेकिन प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC) के सदस्य और अर्थशास्त्री संजीव सान्याल ने UPSC परीक्षा की तैयारी को समय की बर्बादी बताया है।


आइए जानते हैं कि संजीव सान्याल ने UPSC की तैयारी को लेकर क्या विचार व्यक्त किए हैं और उन्होंने युवाओं को किस दिशा में मेहनत करने की सलाह दी है।


UPSC परीक्षा की तैयारी को पुरानी सोच

संजीव सान्याल ने UPSC की तैयारी को पुरानी सोच करार दिया है। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि जॉब मार्केट तेजी से बदल रहा है, इसलिए स्किल्स, अप्रेंटिसशिप और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) शिक्षा की ओर बढ़ने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि UPSC परीक्षा की तैयारी एक स्थिरता की मानसिकता को दर्शाती है, जबकि तकनीक वैश्विक अर्थव्यवस्था को नया आकार दे रही है। उन्होंने कहा कि 20वीं सदी का करियर मॉडल 21वीं सदी की चुनौतियों के लिए उपयुक्त नहीं है।


UPSC में असफलता की दर

सान्याल ने UPSC परीक्षा में प्रतिस्पर्धा और सफलता की दर पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि कई सालों की मेहनत के बाद भी 99 प्रतिशत उम्मीदवार असफल हो जाते हैं, जो समय और संसाधनों की बर्बादी है। हालांकि, उन्होंने वास्तविक और फोकस्ड कैंडिडेट्स को इस बहस से अलग रखा।


पुरानी यूनिवर्सिटी प्रणाली की आलोचना

सान्याल ने भारत की पारंपरिक यूनिवर्सिटी प्रणाली की भी आलोचना की। उन्होंने कहा कि स्किल्स अब यूनिवर्सिटी के पाठ्यक्रमों की तुलना में तेजी से विकसित हो रहे हैं, जबकि AI सिस्टम पहले से ही अद्यतन ज्ञान प्रदान करने में अधिक प्रभावी हैं। उन्होंने बताया कि यूनिवर्सिटीज अभी भी पुराने मॉडल पर काम कर रही हैं, जो तेजी से बदलते टूल्स और तकनीकों के साथ तालमेल बिठाने में असमर्थ हैं।


अप्रेंटिसशिप पर जोर

सान्याल ने संरचनात्मक बदलाव की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि छात्रों को जल्द से जल्द कार्यबल में शामिल होना चाहिए और लंबे एकेडमिक साइकल में फंसे रहने के बजाय काम को फ्लेक्सिबल और ऑनलाइन लर्निंग के साथ जोड़ना चाहिए।


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