भारतीय नौसेना का नया रक्षक 'माहे': विशेषताएँ और महत्व
भारतीय नौसेना के लिए एक नया युग
समंदर का नया खिलाड़ी ‘माहे’
भारतीय नौसेना के लिए 24 नवंबर 2025 का दिन ऐतिहासिक होने जा रहा है। इस दिन कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा निर्मित पहली पनडुब्बी-रोधी उथले जलयान, 'माहे', का जलावतरण किया जाएगा। यह परियोजना आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि इसमें 80% से अधिक सामग्री स्वदेशी है। इसे भारतीय नौसेना की आवश्यकताओं के अनुसार तैयार किया गया है।
'माहे' केवल एक नया जहाज नहीं है, बल्कि यह स्वदेशी जहाज निर्माण में भारत की प्रगति का प्रतीक है। आकार में छोटा होने के बावजूद, इसकी ताकत और क्षमताएँ अद्वितीय हैं। यह तेज, सटीक और लंबी दूरी तक कार्य करने में सक्षम है, जिससे समुद्री सीमाओं की सुरक्षा में सहायता मिलेगी।
इस जहाज का निर्माण पूरी तरह से आत्मनिर्भर भारत के सिद्धांत के तहत किया गया है, जिसमें अधिकांश कलपुर्जे भारतीय हैं। कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में तैयार किया गया 'माहे' भारतीय नौसेना के लिए स्वदेशी जहाजों की नई पीढ़ी का आरंभ है।
माहे की विशेषताएँ
- 'माहे' को भविष्य की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए डिज़ाइन किया गया है, ताकि इसे विभिन्न परिस्थितियों में प्रभावी रूप से उपयोग किया जा सके।
- इसकी मारक क्षमता, स्थिरता और गतिशीलता इसे पनडुब्बियों का पता लगाने, तटीय गश्त करने और महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों की सुरक्षा के लिए उपयुक्त बनाती है।
- इसमें 80 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री का उपयोग किया गया है।
- 'माहे-क्लास' युद्धपोत डिजाइन और निर्माण में भारत की बढ़ती विशेषज्ञता को दर्शाता है।
- मालाबार तट पर स्थित ऐतिहासिक शहर माहे के नाम पर, जहाज के शिखर पर ‘उरुमी’ अंकित है, जो चपलता, सटीकता और खूबसूरती का प्रतीक है।
- इसकी मारक क्षमता और तेज गति के संतुलन के कारण, यह उथले पानी में भी सटीक ऑपरेशन कर सकता है।
