पंजाब में बाढ़ राहत कार्यों में डिजिटल पारदर्शिता का नया मॉडल

बाढ़ राहत में पारदर्शिता और डिजिटलाइजेशन
पंजाब में आई विनाशकारी बाढ़ ने जनजीवन को प्रभावित किया है, लेकिन भगवंत मान सरकार ने इस संकट से निपटने के लिए पारदर्शिता और डिजिटलाइजेशन को अपनाकर एक नई मिसाल कायम की है। सरकार ने 2300 से अधिक बाढ़ प्रभावित गांवों के लिए 100 करोड़ रुपये का विशेष राहत कोष बनाया है। राहत कार्यों में पूर्ण पारदर्शिता बनाए रखने के लिए, धन सीधे प्रत्येक ग्राम पंचायत को आवंटित किया गया है, जिससे वे तुरंत अपने गांवों में आवश्यक कार्य जैसे सड़क मरम्मत, नालियों से कीचड़ निकालना, मृत जानवरों का उचित निपटान और सफाई कार्य शुरू कर सकें।
इन कार्यों की प्रगति का पूरा रिकॉर्ड रखा जा रहा है। ग्राम सभा स्तर पर विशेष बैठकें आयोजित की जा रही हैं, जहां समुदाय के सदस्य कार्यों को प्राथमिकता देते हैं और पूर्ण होने के बाद खर्च की समीक्षा करते हैं। गांव की समितियां स्वयं अपनी रिपोर्ट राज्य निगरानी सेल को भेजती हैं, जिससे भ्रष्टाचार की संभावना पूरी तरह समाप्त हो जाती है।
राज्य सरकार ने डिजिटल तकनीक का व्यापक उपयोग करते हुए एक ऑनलाइन पोर्टल और मोबाइल ऐप विकसित किया है, जहां राहत कार्यों की तस्वीरें, वीडियो और खर्च की जानकारी आम जनता के लिए उपलब्ध हैं। इससे पंजाब के हर नागरिक को यह विश्वास मिलता है कि उनके गांव के राहत कोष का सही उपयोग हो रहा है। इसके अलावा, स्वास्थ्य और पशुपालन विभागों ने मोबाइल स्वास्थ्य इकाइयों, डिजिटल फॉगिंग मशीनों और पशु टीकाकरण के लिए वेंडिंग मशीनों का उपयोग किया है। मोबाइल ऐप के माध्यम से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से संबंधित सभी जानकारी वास्तविक समय में अपडेट की जाती है।
पंजाब सरकार ने बाढ़ राहत वितरण में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए कई विशेष और प्रभावी कदम उठाए हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
विशेष गिरदावरी रिपोर्ट: तकनीकी टीमें 30-40 दिनों के भीतर गिरदावरी रिपोर्ट तैयार कर रही हैं ताकि बाढ़ प्रभावित किसानों की फसलों, मवेशियों और घरों को हुए नुकसान का आकलन किया जा सके। ये रिपोर्ट पूरी तरह से सत्य और निष्पक्ष हैं ताकि मुआवजा सही लोगों तक पहुंचे।
प्रत्यक्ष निगरानी और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग: मुख्यमंत्री भगवंत मान हर सप्ताह सभी जिलों के डीसी के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से राहत कार्यों की समीक्षा कर रहे हैं। इससे हर प्रगति पर नजर रखी जाती है और कार्य में देरी या अनियमितताओं को रोकने में मदद मिलती है।
ग्राम पंचायतों को सीधे फंडिंग: 2300 से अधिक प्रभावित गांवों की ग्राम पंचायतों को सीधे धन दिया गया है ताकि वे स्थानीय स्तर पर सबसे आवश्यक मरम्मत और सफाई कार्य तेजी से कर सकें।
ग्राम सभा में बजट और खर्च की पारदर्शिता: प्रत्येक ग्राम पंचायत में विशेष बैठकें आयोजित की जाती हैं, जहां खर्च, प्राथमिकताएं और कार्य की समीक्षा की जाती है। प्रत्येक कार्य से पहले और बाद में फोटो रिपोर्टिंग की जाती है, जिससे धन के सही उपयोग का प्रमाण मिलता है।
समर्पित निगरानी सेल: राज्य स्तर पर एक निगरानी सेल स्थापित किया गया है जो बाढ़ राहत कार्यों की निरंतर निगरानी करता है। यह सेल रिपोर्टिंग, शिकायत निवारण और प्रगति की समीक्षा करता है।
खुले डिजिटल पोर्टल और मोबाइल ऐप: पंजाब सरकार ने एक डिजिटल पोर्टल और मोबाइल ऐप लॉन्च किया है, जहां आम जनता सीधे राहत कार्यों की प्रगति, खर्च और तस्वीरें देख सकती है। इससे सार्वजनिक विश्वास बढ़ा है और भ्रष्टाचार की गुंजाइश समाप्त हो गई है।
कठोर कार्रवाई के निर्देश: मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया है कि यदि राहत वितरण में कोई अनियमितता या भ्रष्टाचार पाया जाता है, तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।
स्वैच्छिक और सामाजिक संगठनों की भागीदारी: राज्यों के साथ-साथ, एनजीओ, युवा संगठन और सामाजिक संस्थाएं भी राहत कार्यों में शामिल हैं, जिससे पारदर्शिता और कार्यों का प्रभावी वितरण सुनिश्चित होता है।
नोडल अधिकारियों की नियुक्ति: प्रत्येक जिले में नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की गई है, जो राहत सामग्री वितरण, मुआवजा भुगतान और मरम्मत कार्य की जिम्मेदारी लेते हैं।
ऑनलाइन शिकायत और सुझाव प्रणाली: लोगों के लिए राहत वितरण में किसी भी अनियमितता की रिपोर्ट करने या शिकायत दर्ज करने के लिए एक ऑनलाइन प्रणाली उपलब्ध है, जिससे त्वरित जांच संभव होती है।
सरकार ने जल भंडारण और निकासी प्रणालियों की डिजिटल निगरानी के लिए एक नया सिस्टम भी लॉन्च किया है, जिसका उपयोग भविष्य में भारी बारिश के दौरान अलर्ट जारी करने और बचाव कार्यों को तुरंत प्रभाव में लाने के लिए किया जाएगा। ये सभी ठोस कदम हैं जो मान सरकार ने इस बाढ़ जैसी स्थिति में उठाए हैं, और इसके अलावा, आम जनता ने भी सरकार का पूरा समर्थन किया है।
युवा संगठन, एनजीओ और गांवों में स्थानीय स्वयंसेवक भी इस अभियान में सक्रिय भागीदार बन गए हैं ताकि कार्य की गति बनी रहे और अधिकतम लोगों तक मदद पहुंचे। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा, “यह अभियान पारदर्शिता, जवाबदेही और तकनीक के माध्यम से लोगों के हाथों में राजनीतिक और सामाजिक शक्ति डालने की दिशा में एक बड़ा कदम है। हमारी सरकार हर गांव, हर परिवार के साथ खड़ी है जो बाढ़ से प्रभावित हुआ है।”
यह मॉडल दिखाता है कि पंजाब केवल वर्तमान बाढ़ से राहत प्रदान करने तक सीमित नहीं है, बल्कि भविष्य में ऐसे आपदाओं का सामना करने के लिए मजबूत तैयारी कर रहा है। पंजाब सरकार का डिजिटल पारदर्शिता और सामुदायिक भागीदारी पर आधारित दृष्टिकोण अन्य राज्यों के लिए भी मार्गदर्शक सिद्ध होगा। पंजाब के लोगों को विश्वास होना चाहिए कि मान सरकार हर कदम पर उनके साथ है और जल्द से जल्द सामान्य जीवन को बहाल करने के लिए प्रतिबद्ध है।