चूने के अद्भुत स्वास्थ्य लाभ और उपयोग

चूना क्या है?
चूना पत्थर एक प्रकार की अवसादी चट्टान है, जो मुख्यतः कैल्शियम कार्बोनेट (CaCO3) के विभिन्न क्रिस्टलीय रूपों जैसे केल्साइट या एरेगोनाइट से बनी होती है। यदि चूने का सही तरीके से उपयोग किया जाए, तो यह कई गंभीर बीमारियों के उपचार में सहायक हो सकता है। आइए जानते हैं चूने के फायदे और इसके उपयोग के तरीके।
चूने के गुण

चूने के पानी में कैल्शियम और विटामिन सी की भरपूर मात्रा होती है, जो कई रोगों को दूर करने में मददगार है। इनमें प्रदर रोग, यक्ष्मा, कील-मुंहासे, कान का दर्द, तिल्ली की वृद्धि, घाव, और चेचक शामिल हैं।
30 ग्राम चूने को 70 ग्राम मिश्री के साथ मिलाकर आधा किलो पानी में डालें और इसे एक बंद शीशी में रखें। जब पानी निथर जाए, तो 15-20 बूंदें उस पानी में थोड़ा दूध मिलाकर बच्चे को देने से उदर रोग ठीक हो जाते हैं।
चूने को नींबू के रस के साथ मिलाकर लगाने से मकड़ी के जहर का प्रभाव कम हो जाता है।
10-12 ग्राम चूने में 30 एम.एल. गोमूत्र मिलाकर मलहम बनाएं, इसे खुजली और घावों पर लगाने से लाभ होता है।
चूने में थोड़ा शहद मिलाकर कील-मुंहासों पर लगाने से वे जल्दी ठीक हो जाते हैं।
गहरे घाव पर चूने को मक्खन और सोंठ के साथ मिलाकर लगाने से खून बहना रुक जाता है।
कली के 2 रत्ती चूने का सेवन तुलसी के रस या प्याज के रस के साथ करने से अमाशय के विजातीय द्रव्य बाहर निकल जाते हैं।
रुई के फाहे को चूने के पानी में भिगोकर चेचक के व्रण पर रखने से गहरे घाव नहीं पड़ते।
अजीर्ण के कारण पेशाब रुकने पर दूध में चूने का पानी मिलाकर देने से लाभ होता है।
चूने के निथरे हुए पानी में दूध मिलाकर कान में डालने से कान का बहना रुक जाता है।
यदि बच्चे की गुदा में चुन्ने के कीड़े हैं, तो चूने के पानी की पिचकारी देने से लाभ होता है।
चूने के निथरे हुए पानी में तिल का तेल और शक्कर मिलाकर देने से मूत्र के समय होने वाला कष्ट दूर होता है।
अम्लपित्त रोग में चूने के निथरे हुए पानी का सेवन करने से लाभ होता है।
चूने को शहद के साथ मिलाकर तिल्ली पर लगाने से तिल्ली की वृद्धि समाप्त होती है।
क्षय रोग में चूने का पानी दूध में मिलाकर पीने से लाभ होता है।
यदि किसी औषधि से वमन नहीं रुकता, तो दूध में चूने का पानी मिलाकर देने से वमन रुक जाता है।
चूने के 20 ग्राम पानी में 100 ग्राम साफ पानी मिलाकर वेजीना को धोने से श्वेत प्रदर दूर होता है।
चूने और शहद को कपड़े पर लगाकर पसली के दर्द वाले स्थान पर रखने से दर्द में राहत मिलती है।
चूने में अलसी का तेल मिलाकर जलने पर लगाने से जलन कम होती है।
चूने के पानी में गुनगुना दूध और गोंद मिलाकर देने से अतिसार का तत्काल निवारण होता है।
चूना, सज्जी, तूतिया और सुहागे को मिलाकर शरीर के मस्सों पर लगाने से मस्से कुछ ही दिनों में दूर हो जाते हैं।
चूने और नौसादर को मिलाकर सुंघाने से सिरदर्द और बेहोशी दूर होती है।
हल्दी और खाने वाले चूने को मिलाकर रात भर छोड़ने से तिल-मस्से अपने आप गिर जाते हैं।