कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए नाथू ला और लिपुलेख ला को अस्थायी आव्रजन चौकी के रूप में मान्यता

कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए नई व्यवस्था
गृह मंत्रालय ने सोमवार को सिक्किम के नाथू ला और उत्तराखंड के लिपुलेख ला को कैलाश मानसरोवर यात्रा के तीर्थयात्रियों के लिए अस्थायी आव्रजन जांच चौकियों के रूप में मान्यता दी है। यह व्यवस्था तीर्थयात्रियों के भारत में प्रवेश और निकास को सरल बनाने के लिए की गई है। विदेश मंत्रालय हर साल जून से सितंबर के बीच इन दोनों मार्गों के माध्यम से कैलाश मानसरोवर यात्रा का आयोजन करता है।
कैलाश मानसरोवर यात्रा की सुविधाएं
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नाथू ला और लिपुलेख ला को अस्थायी रूप से अधिकृत आव्रजन चौकी के रूप में घोषित किया है। यह निर्णय तीर्थयात्रियों के लिए यात्रा को सुगम बनाने के उद्देश्य से लिया गया है। कोविड-19 महामारी के कारण 2020 में यह यात्रा निलंबित कर दी गई थी, और इसके बाद भारत-चीन सीमा पर तनाव के चलते इसे फिर से स्थगित किया गया था। अब यह यात्रा पुनः आरंभ हो रही है।
नाथू ला और लिपुलेख ला को अस्थायी आव्रजन चौकी के रूप में मान्यता
गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, केंद्र सरकार ने नाथू ला चेक-पोस्ट को कैलाश मानसरोवर यात्रा के तीर्थयात्रियों के लिए वैध यात्रा दस्तावेजों के साथ भारत में प्रवेश और निकास के लिए अस्थायी आधार पर अधिकृत किया है।
पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) नियम 1950
इसी तरह, गृह मंत्रालय ने लिपुलेख ला चेक-पोस्ट को भी कैलाश मानसरोवर यात्रा के तीर्थयात्रियों के लिए अस्थायी आधार पर अधिकृत आव्रजन चौकी के रूप में मान्यता दी है। यह स्थान हिंदुओं के लिए भगवान शिव का निवास स्थल माना जाता है और जैन तथा बौद्ध समुदायों के लिए भी पवित्र है। यह यात्रा केवल वैध भारतीय पासपोर्ट रखने वाले भारतीय नागरिकों के लिए खुली है, जो धार्मिक उद्देश्यों से कैलाश मानसरोवर जाना चाहते हैं।