आयुर्वेद और वन मेले का महत्व: मुख्यमंत्री का उद्घाटन भाषण

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अंतर्राष्ट्रीय वन मेले के उद्घाटन समारोह में आयुर्वेद के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कोविड के दौरान आयुर्वेद की भूमिका को सराहा और बताया कि यह केवल चिकित्सा नहीं, बल्कि एक जीवनशैली है। उज्जैन में भी वन मेले की योजना है, जिसमें 200 आयुर्वेदिक चिकित्सक मुफ्त परामर्श देंगे। मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रम और विभिन्न प्रतियोगिताएं भी होंगी। जानें इस मेले की विशेषताएँ और मुख्यमंत्री के अन्य महत्वपूर्ण बिंदु।
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आयुर्वेद का योगदान कोविड के दौरान

आयुर्वेद और वन मेले का महत्व: मुख्यमंत्री का उद्घाटन भाषण


मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि जब कोविड महामारी ने पूरी दुनिया को प्रभावित किया, तब आयुर्वेद ने अद्भुत कार्य किया। यह बयान उन्होंने लाल परेड मैदान में अंतर्राष्ट्रीय वन मेले के उद्घाटन समारोह में दिया।


उन्होंने आयुर्वेद को कायाकल्प की दिशा में एक महत्वपूर्ण साधन बताते हुए कहा कि जब कोविड के दौरान काढ़ा का उपयोग बढ़ा, तब इसकी प्रभावशीलता ने सभी को चौंका दिया।


आयुर्वेद: एक जीवनशैली

मुख्यमंत्री ने चारों आश्रमों का उल्लेख करते हुए मनुष्य और प्रकृति के संबंधों की चर्चा की। उन्होंने जड़ी-बूटियों की जानकारी देते हुए भारतीय जीवनशैली में उनकी भूमिका पर प्रकाश डाला। उनका कहना था कि आयुर्वेद जीवन को बेहतर बनाता है और प्राकृतिक तत्वों का उपयोग हमारे स्वास्थ्य में सुधार करता है।


उन्होंने यह भी कहा कि चिकित्सा विज्ञान अपनी जगह महत्वपूर्ण है, लेकिन जड़ी-बूटियों का कोई विकल्प नहीं है।


उज्जैन में वन मेले की घोषणा

वन राज्य मंत्री दिलीप अहिरवार ने समारोह में बताया कि उज्जैन में भी वन मेला आयोजित किया जाएगा। इस मेले में 200 आयुर्वेदिक चिकित्सक और विशेषज्ञ मुफ्त चिकित्सा परामर्श प्रदान करेंगे।


समिता राजौरा ने कहा कि यह अंतर्राष्ट्रीय वन मेला लोगों की अपेक्षाओं पर खरा उतरेगा। मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे, जिनमें ऑर्केस्ट्रा, नुक्कड़ नाटक और विभिन्न प्रतियोगिताएं शामिल हैं।


मुख्यमंत्री के अन्य महत्वपूर्ण बिंदु

• एक वर्ष में 8 वेलनेस सेंटर खोले गए हैं।


• लघु वनोपज संघ की न्यूनतम समर्थन मूल्य में 25 प्रतिशत की वृद्धि की गई है।


• 2026 में नौरादेही में रानी दुर्गावती के नाम से अभ्यारण्य स्थापित होगा।


• सागर जिले में भीमराव अंबेडकर अभ्यारण्य खोला जाएगा।


• कोबरा के बाद जिराफ लाने पर विचार किया जा रहा है।


वन मेले की जानकारी

यह मेला ‘समृद्ध वन, खुशहाल वन’ की थीम पर आयोजित किया जा रहा है और यह 23 दिसंबर तक चलेगा। मेले में 24 राज्यों की जड़ी-बूटियों के साथ 350 स्टॉल लगाए जाएंगे।


यहां विभिन्न उत्पादों का प्रदर्शन किया जाएगा, जिसमें पारंपरिक भोजन सामग्री भी शामिल होगी। इसके अलावा, 50 ओपीडी स्टॉल और एक किड्स जोन भी होगा।


आयोजन की तारीखें

• 17 दिसंबर: डिंडौरी के पारंपरिक नृत्य की प्रस्तुति


• 18 दिसंबर: ऑर्केस्ट्रा, अंचल शर्मा ग्रुप


• 19 दिसंबर: विरासत सूफी की म्यूजिकल प्रस्तुति


• 20 दिसंबर: ‘एक शाम वन विभाग के नाम’


• 21 दिसंबर: सिंगर नीरज श्रीधर की प्रस्तुति


• 22 दिसंबर: मानसरोवर द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम


• 23 दिसंबर: झाबुआ का पारंपरिक नृत्य


अंतर्राष्ट्रीय कार्यशालाएं

वन राज्य मंत्री ने बताया कि 19 और 20 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय कार्यशालाओं का आयोजन किया जाएगा, जिसमें देश के 17, नेपाल के 2 और भूटान के 1 प्रतिनिधि भाग लेंगे।