ॐ का उच्चारण: स्वास्थ्य और आध्यात्मिक लाभ
ॐ का वैज्ञानिक महत्व
ॐ का चिन्ह अद्वितीय है और यह सम्पूर्ण ब्रह्मांड का प्रतीक माना जाता है। कई आकाश गंगाएँ इसी प्रकार फैली हुई हैं। ब्रह्म का अर्थ विस्तार और फैलाव है। ओंकार ध्वनि के 100 से अधिक अर्थ हैं, जो अनादि और अनंत का प्रतीक है।
इस ध्वनि को ओम कहा जाता है, जिसमें 'ओ' पर विशेष जोर दिया जाता है। इसे प्रणव मंत्र भी कहा जाता है, जो अनंत है। यह ब्रह्मांड की अनाहत ध्वनि है, जो बिना किसी टकराहट के निरंतर चलती रहती है।
ध्यान करने वाले तपस्वियों ने इस ध्वनि को सुना है, जो शरीर के भीतर और बाहर निरंतर गूंजती है। इसे सुनने से मन और आत्मा को शांति मिलती है। ओम का उच्चारण करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
हालांकि, इस ध्वनि को सुनने के लिए पूर्ण मौन और ध्यान की आवश्यकता होती है। जो इसे सुनता है, वह परमात्मा से जुड़ने लगता है।
ॐ के स्वास्थ्य लाभ
प्रतिदिन आधे घंटे तक ओम का उच्चारण करना चाहिए। यह अक्षर पवित्र माना जाता है और इसका कोई निश्चित अर्थ नहीं है। यह हमारे सूक्ष्म शरीर को संतुलित करता है और मन की अशांति को कम करता है।
ओंकार की ध्वनि से उत्पन्न कम्पन हमारे स्नायुतंत्र को संतुलित करता है। इससे शरीर में शांति और संतुलन आता है।
श्री श्री रविशंकर के अनुसार, नियमित रूप से ओम का उच्चारण करने से गंभीर बीमारियाँ भी ठीक हो सकती हैं। एक जर्मन व्यक्ति ने अपनी बीमारी का सामना करते हुए ओम का उच्चारण किया और स्वस्थ हो गया।
ॐ का प्रतीकात्मक महत्व
ॐ शब्द तीन ध्वनियों - अ, उ, म से मिलकर बना है। ये ध्वनियाँ ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक हैं। यह भू, भूवः और स्वर्ग लोक का भी प्रतीक है।
बीमारियों से मुक्ति
तंत्र योग में एकाक्षर मंत्रों का विशेष महत्व है। इन मंत्रों का उच्चारण शरीर के सभी चक्रों और हार्मोन स्राव करने वाली ग्रंथियों पर प्रभाव डालता है।
इन मंत्रों के उच्चारण से निकलने वाली ध्वनि बीमारियों को दूर करने में सहायक होती है।
ॐ का उच्चारण करने की विधि
सुबह उठकर पवित्र होकर ओंकार का उच्चारण करें। इसे विभिन्न आसनों में बैठकर किया जा सकता है। ओम का उच्चारण 5, 7, 10, या 21 बार किया जा सकता है।
ॐ के लाभ
इससे मन और शरीर को एकाग्रता में मदद मिलती है। यह दिल की धड़कन और रक्त संचार को व्यवस्थित करता है।
इसके उच्चारण से मानसिक बीमारियाँ दूर होती हैं और कार्य करने की क्षमता बढ़ती है।
आवेगों का उतार-चढ़ाव
प्रिय या अप्रिय शब्दों की ध्वनि से श्रोता और वक्ता दोनों पर प्रभाव पड़ता है। अप्रिय शब्दों से उत्पन्न ध्वनि से दिल की धड़कन तेज हो जाती है, जबकि प्रिय शब्दों की ध्वनि से सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
