हिंदू धर्म में रोटी की परंपरा: गाय और कुत्ते का महत्व

गाय और कुत्ते को रोटी देने की परंपरा

हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण परंपरा है जिसमें रोटी खाने से पहले गाय को पहली रोटी दी जाती है और अंत में कुत्ते को आखिरी रोटी दी जाती है। इस परंपरा का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व है।
गाय को पहली रोटी देने का महत्व:
गाय को हिंदू धर्म में 'गौ माता' माना जाता है, जिसमें 33 करोड़ देवी-देवताओं का निवास माना जाता है। इसलिए, गाय को पहली रोटी समर्पित करने से सभी देवी-देवताओं को भोग लगाने का पुण्य मिलता है, जिससे घर में उनकी कृपा बनी रहती है। यह क्रिया घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है और सामूहिक सुख-समृद्धि का प्रतीक मानी जाती है। इसके अलावा, यह जीवन में आने वाली बाधाओं और कष्टों को दूर करने में सहायक होती है।
कुत्ते को आखिरी रोटी देने का महत्व:
कुत्ते को काल भैरव का वाहन माना जाता है और यह शनि और केतु ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है। ज्योतिष के अनुसार, कुत्ते को आखिरी रोटी देने से राहु-केतु और शनि के दोष शांत होते हैं। इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है, धन-धान्य में वृद्धि होती है और पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। यह उपाय परिवार के लिए शुभ फलदायक होता है।
संक्षेप में, गाय को पहली रोटी खिलाने से देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जबकि कुत्ते को आखिरी रोटी खिलाने से ग्रह दोष समाप्त होते हैं और घर में समृद्धि और खुशहाली बनी रहती है। यह परंपरा न केवल धार्मिक श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि घरेलू सुख-शांति और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देने का एक प्रभावी तरीका भी है।