हिंदू धर्म में दान के लिए अनुकूल और प्रतिकूल दिन

दान का महत्व और सावधानियाँ
नई दिल्ली: हिंदू धर्म में दान का विशेष महत्व है, जो न केवल पुण्य का कारण बनता है, बल्कि जरूरतमंदों की सहायता का भी एक साधन है। दान करने से ईश्वर की कृपा बनी रहती है। हालांकि, कुछ विशेष दिनों में दान करने से आपकी खुशियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। हिंदू मान्यता के अनुसार, साल में पांच ऐसे दिन होते हैं जब दान करने से पितृ दोष उत्पन्न हो सकता है, जिससे आर्थिक समस्याएँ आ सकती हैं।
गुरुवार को भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा का दिन माना जाता है। इस दिन किसी को पैसे उधार देने या दान देने से बचना चाहिए, क्योंकि इससे धन की हानि हो सकती है। विशेष रूप से, यदि आप इस दिन अपने रिश्तेदार या मित्र को दान देते हैं, तो यह आपकी आर्थिक स्थिति पर विपरीत प्रभाव डाल सकता है।
धार्मिक दृष्टिकोण से, दान एक पुण्य कार्य है, लेकिन इसे सूर्यास्त के बाद नहीं करना चाहिए। खासकर, दही, दूध, हल्दी, और तुलसी के पौधे का दान शाम के समय नहीं करना चाहिए। मान्यता है कि सूर्यास्त के बाद इन वस्तुओं का दान करने से बुरे परिणाम मिल सकते हैं, जिससे मानसिक और भौतिक कष्ट हो सकते हैं।
हिंदू धर्म में यह परंपरा है कि जब किसी घर में किसी की मृत्यु होती है, तो 13वीं तक किसी भी प्रकार का दान नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से पितृ दोष उत्पन्न हो सकता है, जिससे घर के सदस्यों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए, 13वीं तक दान देने से बचना चाहिए।
दिवाली का त्योहार लक्ष्मी के स्वागत के लिए मनाया जाता है। इस दिन घर में लक्ष्मी पूजा होती है और सभी सदस्य सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। लेकिन, यदि आप इस दिन किसी को दान देते हैं, तो मां लक्ष्मी रुष्ट हो सकती हैं, जिससे घर में दरिद्रता आ सकती है। इसके अलावा, परिवार को कर्ज़ में भी डूबना पड़ सकता है। इसलिए दिवाली के दिन दान से बचना चाहिए।
धनतेरस का पर्व दिवाली की शुरुआत के रूप में मनाया जाता है। इस दिन नए बर्तन खरीदने की परंपरा है, जो समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। लेकिन इस दिन शाम के समय नमक का दान करना अशुभ माना जाता है। यदि कोई व्यक्ति शाम को नमक मांगने आए, तो उसे विनम्रता से मना कर दें, क्योंकि यह आपके घर के धन और सामर्थ्य में रुकावट डाल सकता है.