हरि-हर मिलन 2025: उज्जैन में विशेष पर्व की तिथि और महत्व

हरि-हर मिलन 2025 का पर्व उज्जैन में 3 नवंबर को मनाया जाएगा। यह दिन भगवान विष्णु और महादेव के बीच विशेष संबंध को दर्शाता है। जानें इस पर्व का महत्व, धार्मिक मान्यताएँ और इस दिन किए जाने वाले कार्य। इस विशेष अवसर पर भक्तों के लिए क्या करना शुभ है, यह जानने के लिए पूरा लेख पढ़ें।
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हरि-हर मिलन 2025: उज्जैन में विशेष पर्व की तिथि और महत्व

हरि-हर मिलन 2025

हरि-हर मिलन 2025: उज्जैन में विशेष पर्व की तिथि और महत्व

हरि-हर मिलन 2025

हरि-हर मिलन 2025: सनातन धर्म में हरि-हर मिलन का पर्व एक महत्वपूर्ण अवसर है, जो विशेष रूप से उज्जैन में मनाया जाता है। इस दिन बाबा महाकाल भगवान विष्णु से मिलने के लिए गोपाल मंदिर जाते हैं, जहां वे जगत के संचालन का कार्य उन्हें सौंपते हैं। आइए इस विशेष पर्व के बारे में विस्तार से जानते हैं।

कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर बैकुंठ चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष, यह तिथि 3 नवंबर को रात 9:35 बजे शुरू होगी और 4 नवंबर को शाम 6:06 बजे समाप्त होगी। इस प्रकार, हरि-हर मिलन उत्सव 3 नवंबर को मनाया जाएगा।

इस पर्व का महत्व

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, चातुर्मास के दौरान भगवान विष्णु पाताल लोक में योगनिद्रा में होते हैं और इस समय जगत का संचालन भगवान शिव करते हैं। चातुर्मास के अंत में, देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु जागते हैं, और इस अवसर पर महादेव उन्हें पुनः जगत का संचालन सौंपते हैं। यह दिन विशेष रूप से तुलसी और बेलपत्र की माला के आदान-प्रदान के लिए जाना जाता है।

यह एकमात्र दिन है जब महादेव पर तुलसी चढ़ाई जाती है और भगवान विष्णु को बेलपत्र अर्पित किया जाता है।

इस दिन के कार्य

बैकुंठ चतुर्दशी के दिन, सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पवित्र नदी में स्नान करना शुभ माना जाता है। इस दिन व्रत और रात्रि जागरण भी किया जाता है। भगवान विष्णु और महादेव के मंत्रों का जाप करने से भक्तों को आशीर्वाद प्राप्त होता है।

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