हम्पी का विरुपाक्ष मंदिर: एक अद्भुत धार्मिक धरोहर

विरुपाक्ष मंदिर की भव्यता

भारत अपनी समृद्ध संस्कृति और धार्मिक धरोहरों के लिए विश्वभर में जाना जाता है। कर्नाटक के हम्पी में स्थित विरुपाक्ष मंदिर इस धरोहर का एक अद्वितीय उदाहरण है। यह मंदिर न केवल अपनी भव्यता और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसके अनोखे रहस्यों के लिए भी जाना जाता है। यह मंदिर यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल है और भगवान शिव के विरुपाक्ष रूप तथा उनकी पत्नी देवी पंपा को समर्पित है।
किंवदंती और इतिहास
कहा जाता है कि हम्पी रामायण काल की किष्किंधा है। यहां स्थित शिवलिंग दक्षिण दिशा में झुका हुआ है। पौराणिक कथा के अनुसार, रावण ने भगवान शिव से लंका में शिवलिंग स्थापित करने का वचन लिया था, लेकिन यात्रा के दौरान उसने इसे अस्थायी रूप से एक व्यक्ति को सौंप दिया। भारी वजन के कारण वह व्यक्ति शिवलिंग को जमीन पर रख देता है, और तब से यह यहीं स्थिर है। इस घटना को दर्शाते हुए मंदिर की दीवारों पर चित्र बनाए गए हैं, जिनमें रावण को शिवलिंग की प्रार्थना करते हुए दिखाया गया है।
द्रविड़ स्थापत्य कला
यह मंदिर द्रविड़ स्थापत्य शैली में निर्मित है, जिसमें गोपुरम 50 मीटर ऊंचा है और इसे 500 वर्ष से अधिक पुराना माना जाता है। इसे विक्रमादित्य द्वितीय की रानी लोकमाह देवी ने बनवाया था। इसे ‘पंपावती मंदिर’ के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर में भगवान शिव, देवी पंपा और भुवनेश्वरी की मूर्तियां हैं, साथ ही अन्य देवी-देवताओं के लिए कई छोटे मंदिर भी हैं।
म्यूजिकल पिलर्स का रहस्य
विरुपाक्ष मंदिर की एक अनोखी विशेषता इसके ‘म्यूजिकल पिलर्स’ हैं। इन खंभों से मधुर संगीत की ध्वनि निकलती है। किंवदंती है कि अंग्रेजों ने इस रहस्य को जानने के लिए खंभों को तोड़ा, लेकिन वे खोखले निकले और कोई यांत्रिक संरचना नहीं मिली। यह रहस्य आज भी अनसुलझा है, जो इस मंदिर को और भी रहस्यमय बनाता है।
एक अद्भुत धार्मिक स्थल
तुंगभद्रा नदी के दक्षिणी तट पर, हेमकूट पहाड़ी की तलहटी में स्थित यह मंदिर इतिहास, आस्था और रहस्य का अद्भुत संगम है, जो इसे भारत के सबसे अनूठे और आकर्षक मंदिरों में से एक बनाता है।