हनुमानजी का संकष्टी व्रत: समुद्र पार करने की अद्भुत कथा

हनुमानजी का संकष्टी व्रत एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है, जो उन्हें समुद्र पार करने की अद्भुत शक्ति प्रदान करता है। इस व्रत का संबंध भगवान श्रीराम की पत्नी सीता माता की खोज से है। जानें इस व्रत के पीछे की कथा और इसके महत्व के बारे में, जो भक्तों को संकटों से उबारने में मदद करता है।
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हनुमानजी का संकष्टी व्रत: समुद्र पार करने की अद्भुत कथा

हनुमानजी और गणाधिप संकष्टी व्रत का महत्व

हनुमानजी का संकष्टी व्रत: समुद्र पार करने की अद्भुत कथा

हनुमानजी और गणाधिप संकष्टी व्रत का संबंधImage Credit source: AI

Sankashti Chaturthi Vrat 2025: भारतीय धार्मिक ग्रंथों और लोककथाओं में कई ऐसे प्रसंग मिलते हैं, जो दर्शाते हैं कि देवताओं और महापुरुषों ने अपने महत्वपूर्ण लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए विशेष व्रतों और तपस्याओं का सहारा लिया। भगवान हनुमानजी से जुड़ा एक ऐसा ही अद्भुत प्रसंग है। हनुमानजी ने अपनी अपार शक्ति से विशाल समुद्र को पार कर लंका तक का सफर किया था, और यह कार्य उन्होंने 'गणाधिप संकष्टी' नामक एक विशेष व्रत के पुण्य प्रभाव से किया। आइए, इस महत्वपूर्ण उपवास के बारे में विस्तार से जानते हैं, जिसका वर्णन गणाधिप संकष्टी की कथा में मिलता है।

हनुमानजी और गणाधिप संकष्टी व्रत का संबंध

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब भगवान श्रीराम की पत्नी सीता माता को रावण ने अपहरण कर लिया था, तब हनुमानजी उनकी खोज में समुद्र तट तक पहुंचे। वहाँ उन्हें पक्षीराज सम्पाती मिले, जिन्होंने बताया कि सीता माता लंका में हैं। सम्पाती ने हनुमानजी को सलाह दी कि यदि वे भगवान गणेश की गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का व्रत करें, तो उन्हें इतनी शक्ति प्राप्त होगी कि वे समुद्र को पार कर लंका पहुंच सकेंगे। हनुमानजी ने सम्पाती के निर्देशानुसार श्रद्धा और भक्ति के साथ गणाधिप संकष्टी का व्रत किया। कहा जाता है कि इस व्रत के प्रभाव से उनमें अद्भुत शक्ति का संचार हुआ, और उसी बल से उन्होंने समुद्र को पार कर लंका पहुंचकर माता सीता का पता लगाया। इसलिए इस व्रत को संकटमोचन व्रत भी कहा जाता है।

व्रत का फल और महत्व

मान्यता है कि गणाधिप संकष्टी व्रत को श्रद्धापूर्वक करने से जीवन के सभी संकट दूर होते हैं। जैसे हनुमानजी ने इस व्रत के प्रभाव से समुद्र पार किया और अपने लक्ष्य तक पहुंचे, वैसे ही भक्त भी अपने जीवन की कठिनाइयों को पार कर सकते हैं। इसलिए इस व्रत को बल, बुद्धि और विजय प्रदान करने वाला माना गया है।