हनुमान जयंती पर जानें चिरंजीवी व्यक्तियों के बारे में

आज 6 अप्रैल को हनुमान जयंती का पर्व मनाया जा रहा है। इस अवसर पर हम जानेंगे उन चिरंजीवी व्यक्तियों के बारे में जो अमर माने जाते हैं। इनमें हनुमान जी, परशुराम जी, विभीषण, राजा बलि, ऋषि मार्कण्डेय, महर्षि वेद व्यास, अश्वत्थामा और कृपाचार्य शामिल हैं। जानिए इनकी कहानियाँ और अमरत्व का रहस्य।
 | 
हनुमान जयंती पर जानें चिरंजीवी व्यक्तियों के बारे में

हनुमान जयंती का महत्व

आज 6 अप्रैल को पूरे देश में हनुमान जयंती का पर्व मनाया जा रहा है। हनुमान जी को भगवान शिव का 11वां रुद्र अवतार माना जाता है। सनातन धर्म के अनुसार, हनुमान जी चिरंजीवी हैं, अर्थात् वे अमर हैं। यह मान्यता है कि वे आज भी इस धरती पर विद्यमान हैं। इसके अलावा, उनके साथ सात अन्य चिरंजीवी भी हैं, जिनके बारे में हम आज चर्चा करेंगे।


हनुमान जी

भगवान शिव के अवतार माने जाने वाले हनुमान जी को अमरत्व का वरदान प्राप्त है। मान्यता के अनुसार, जब श्रीराम अयोध्या छोड़कर बैकुण्ठ जाने वाले थे, तब हनुमान जी ने उनसे निवेदन किया कि क्या वे इस धरती पर रुक सकते हैं। श्रीराम ने उनकी इच्छा को स्वीकार करते हुए उन्हें हमेशा के लिए अमर रहने का वरदान दिया।


परशुराम जी

परशुराम जी भगवान विष्णु के छठे अवतार के रूप में जाने जाते हैं। वे श्रीराम से पहले अवतरित हुए थे और उन्हें भी अमर रहने का वरदान प्राप्त है। वे भगवान शिव के परम भक्त हैं और उनकी तपस्या के फलस्वरूप उन्हें यह वरदान मिला। शिवजी ने उन्हें तपस्या से प्रसन्न होकर फरसा दिया, जिसे वे हमेशा अपने साथ रखते हैं।


विभीषण

विभीषण, लंकापति रावण के छोटे भाई हैं, लेकिन वे राम भक्त भी हैं। राम ने विभीषण की सहायता से रावण का वध किया था। देवी सीता को रावण की कैद से मुक्त कराने में विभीषण की महत्वपूर्ण भूमिका रही। भगवान राम ने उनकी सहायता से प्रसन्न होकर उन्हें लंका का राजा और अमर होने का वरदान दिया।


राजा बलि

राजा बलि दैत्यों के महाराजा थे और उनकी शक्ति इतनी थी कि उन्होंने सभी देवताओं को पराजित कर दिया था। उनके आतंक से सभी लोकों में हाहाकार मच गया था। देवताओं ने भगवान विष्णु से सहायता मांगी, जिन्होंने बामन रूप धारण कर राजा बलि से तीन पग भूमि मांगी। बलि ने दो पग में पृथ्वी और तीसरे पग में स्वर्ग नाप लिया। इसके बाद, विष्णुजी ने उन्हें पाताल लोक दिया, जहां वे आज भी निवास करते हैं।


ऋषि मार्कण्डेय

हनुमान जयंती पर जानें चिरंजीवी व्यक्तियों के बारे में


ऋषि मार्कण्डेय भी चिरंजीवी माने जाते हैं। उन्हें भगवान शिव से अमरता का वरदान मिला है। उन्होंने शिवजी को प्रसन्न करने के लिए कठोर तप किया और महामृत्युंजय मंत्र की सिद्धि की। इस तप से प्रसन्न होकर भोलेनाथ ने उन्हें चिरंजीवी होने का वरदान दिया।


महर्षि वेद व्यास

महर्षि वेद व्यास को भगवान विष्णु का अंश माना जाता है। उनका असली नाम कृष्ण द्वैपायन है। उन्होंने कई धार्मिक ग्रंथों, जैसे श्रीमदभगवद् महापुराण, की रचना की। पौराणिक कथाओं के अनुसार, वेद व्यास कलिकाल के अंत तक जीवित रहेंगे और उसके बाद कल्कि अवतार के साथ जीवन व्यतीत करेंगे।


अश्वत्थामा

अश्वत्थामा, गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र हैं और महाभारत युद्ध में कौरवों के सेनापति रहे हैं। वे भी चिरंजीवी हैं, लेकिन उन्हें यह वरदान नहीं, बल्कि श्राप के रूप में मिला है। उनके माथे पर एक अमरमणि थी, जिसे अर्जुन ने निकाल दिया था। इसके बाद, भगवान कृष्ण ने उन्हें श्राप दिया कि वे अनंत काल तक धरती पर भटकते रहेंगे।


कृपाचार्य

कृपाचार्य, अश्वत्थामा के मामा हैं और कौरवों तथा पांडवों दोनों के गुरु रह चुके हैं। उनकी बहन कृपी की शादी द्रोणाचार्य से हुई थी। कृपाचार्य सप्तऋषियों में से एक हैं और उन्हें अपने अच्छे कर्मों के चलते चिरंजीवी होने का वरदान मिला।