सिमसा माता मंदिर: आस्था और चमत्कार की अद्भुत कहानी

सिमसा माता मंदिर की मान्यता
भारत में आस्था और चमत्कार की अनेक कहानियाँ हैं। हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के सिमस गांव में स्थित सिमसा माता मंदिर एक ऐसी अद्भुत मान्यता के लिए जाना जाता है, जो सुनने में चौंकाने वाली है।
मान्यता
यह माना जाता है कि नवरात्रि के दौरान यदि विवाहित महिलाएं, जो संतानहीन हैं, इस मंदिर के फर्श पर सोती हैं, तो उन्हें संतान की प्राप्ति होती है। यहाँ महिलाएं दूर-दूर से आती हैं और कई दिन मंदिर परिसर में बिताती हैं।
सलिन्दरा उत्सव
नवरात्रि में यहाँ सलिन्दरा उत्सव मनाया जाता है, जिसका अर्थ है 'सपना आना'। मान्यता है कि माता सिमसा सपने में आकर महिलाओं को दर्शन देती हैं और फल देकर संतान का आशीर्वाद प्रदान करती हैं।
सपनों के संकेत और लिंग निर्धारण की मान्यता
- अमरूद का फल → पुत्र होगा
- भिंडी → पुत्री होगी
- धातु/पत्थर/लकड़ी की वस्तु → संतान नहीं होगी
यदि संतान न होने का संकेत मिलने के बाद भी महिला मंदिर में ठहरी रहे, तो उसके शरीर पर लाल दाने और खुजली होने लगती है, जिससे उसे वहाँ से जाना पड़ता है।
अन्य लोककथा
मंदिर के पास एक प्रसिद्ध पत्थर है, जिसे दोनों हाथों से हिलाना कठिन है, लेकिन छोटी उंगली से छूने पर वह हिल जाता है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण
इन मान्यताओं का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। गर्भधारण की प्रक्रिया जैविक और चिकित्सकीय तथ्यों पर निर्भर करती है। यह विश्वास पूरी तरह से धार्मिक आस्था और स्थानीय परंपराओं का हिस्सा है।
निष्कर्ष
कहा जाता है, 'मानो तो भगवान कण-कण में है, न मानो तो कहीं भी नहीं।' सिमसा माता मंदिर की यह कहानी आस्था और लोककथाओं का अद्भुत संगम है, जिसे आज भी हजारों लोग सच मानते हैं।