सावन 2025: अविवाहित कन्याओं के लिए सोमवार का व्रत और उसकी मान्यताएं

सावन 2025 का महीना भगवान शिव को समर्पित है, जिसमें अविवाहित कन्याएं विशेष रूप से सोमवार का व्रत रखती हैं। इस व्रत के पीछे कई पौराणिक मान्यताएं हैं, जैसे देवी पार्वती की तपस्या और भगवान शिव के आदर्श पति के रूप में गुण। जानें इस व्रत की विधि, लाभ और ग्रहों के शुभ प्रभाव के बारे में।
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सावन 2025: अविवाहित कन्याओं के लिए सोमवार का व्रत और उसकी मान्यताएं

सावन का महत्व

सावन का महीना, जो भगवान शिव को समर्पित है, हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है। इस दौरान व्रत और पूजा का विशेष महत्व होता है। विशेष रूप से, सावन सोमवार का व्रत अविवाहित कन्याओं के बीच बहुत लोकप्रिय है, जिसके पीछे कई मान्यताएं हैं।


भगवान शिव की भक्ति

सावन 2025: अविवाहित कन्याओं के लिए सोमवार का व्रत और उसकी मान्यताएं


सावन का महीना आते ही, भक्तों के बीच भगवान शिव की जयकारें गूंजने लगती हैं। इस पूरे महीने, भक्त शिव की भक्ति में लीन रहते हैं। सावन सोमवार का व्रत शिव भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, खासकर अविवाहित लड़कियों के लिए। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को श्रद्धा और विधि से करने पर भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और उन्हें उत्तम जीवनसाथी का आशीर्वाद देते हैं। यह मान्यता सदियों से चली आ रही है और आज भी लाखों अविवाहित कन्याएं इसी विश्वास के साथ सावन सोमवार का व्रत करती हैं।


पौराणिक मान्यताएं

देवी पार्वती का तप: सबसे प्रसिद्ध कथा देवी पार्वती से जुड़ी है। कहा जाता है कि उन्होंने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप किया। उन्होंने अन्न-जल का त्याग कर कई वर्षों तक शिव की आराधना की। उनकी इस तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। सावन का महीना देवी पार्वती की तपस्या के लिए विशेष माना जाता है, इसलिए अविवाहित कन्याएं उनकी तरह सावन के सोमवार का व्रत रखती हैं, ताकि शिव जी उन्हें भी सुयोग्य वर प्रदान करें।


आदर्श पति का प्रतीक

भगवान शिव को आदर्श पति माना जाता है। वे त्याग, प्रेम, संयम और वैराग्य के प्रतीक हैं। माना जाता है कि जो कन्याएं शिव की उपासना करती हैं, उन्हें शिव जैसे गुणों वाला पति मिलता है, जो उनकी इच्छाओं का सम्मान करता है और जीवनभर उनका साथ निभाता है।


ग्रहों का शुभ प्रभाव

ज्योतिष के अनुसार, विवाह से संबंधित ग्रह जैसे बृहस्पति और शुक्र होते हैं। सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा करने से इन ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों को कम करने और शुभता को बढ़ाने में मदद मिलती है, जिससे विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और सुयोग्य वर की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।


सावन सोमवार व्रत की विधि और लाभ

सावन सोमवार का व्रत रखने वाली अविवाहित कन्याएं कुछ विशेष नियमों का पालन करती हैं। व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान किया जाता है और साफ वस्त्र धारण किए जाते हैं। इसके बाद शिव मंदिर जाकर या घर पर ही शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा, भांग, चंदन, अक्षत और फूल चढ़ाए जाते हैं। व्रत रखने वाली कन्याएं सोमवार व्रत कथा का पाठ करती हैं, जो भगवान शिव और देवी पार्वती के विवाह से संबंधित होती है। सामान्यतः, सावन सोमवार का व्रत निराहार रहकर किया जाता है, लेकिन कुछ लोग एक समय फलाहार का सेवन करते हैं। व्रत के दौरान संयम और ब्रह्मचर्य का पालन करना महत्वपूर्ण माना जाता है।