समुद्र मंथन के 14 रत्न: अद्भुत और दिव्य उपहार

समुद्र मंथन के 14 रत्न

समुद्र मंथन के 14 रत्न
हिंदू धर्म के पुराणों में समुद्र मंथन की कथा अत्यंत प्रसिद्ध है। इसका उल्लेख भागवत पुराण, विष्णु पुराण और महाभारत में विस्तार से किया गया है। समुद्र मंथन केवल देवताओं और असुरों के बीच अमृत प्राप्त करने की प्रक्रिया नहीं थी, बल्कि इस घटना ने कई अद्भुत और रहस्यमयी रत्नों को भी प्रकट किया। इनमें से कुछ रत्न शुभ माने जाते हैं, जबकि कुछ अशुभ। कुल मिलाकर, समुद्र मंथन से 14 रत्न प्राप्त हुए, जिन्हें 'समुद्र मंथन के चौदह रत्न' कहा जाता है। आइए जानते हैं ये रत्न कौन-कौन से हैं।
समुद्र मंथन के 14 रत्न
समुद्र मंथन से प्राप्त 14 रत्नों में शामिल हैं: कालकूट विष, कामधेनु गाय, ऐरावत हाथी, उच्चैःश्रवा घोड़ा, कौस्तुभ मणि, कल्पवृक्ष, रंभा अप्सरा, महालक्ष्मी, वारुणी मदिरा, चंद्रमा, शारंग धनुष, पांचजन्य शंख, धन्वंतरि (और अमृत)। ये रत्न समृद्धि, ज्ञान और शक्ति के प्रतीक माने जाते हैं।
समुद्र मंथन के 14 रत्नों का विवरण
- हलाहल विष: यह समुद्र मंथन से निकला पहला और सबसे घातक रत्न था, जिसे भगवान शिव ने पीकर सृष्टि की रक्षा की।
- ऐरावत: यह इंद्र का पौराणिक सफेद हाथी है।
- कामधेनु: यह एक दिव्य गाय है जो सभी इच्छाओं को पूरा करती है।
- उच्चैःश्रवा: यह सात सिरों वाला एक दिव्य घोड़ा है।
- कौस्तुभ मणि: यह एक अनमोल मणि है जिसे भगवान विष्णु अपने हृदय पर धारण करते हैं।
- कल्पवृक्ष: यह एक ऐसा वृक्ष है जो सभी इच्छाओं को पूरा करता है।
- रंभा: यह एक अप्सरा है जो अपनी सुंदरता के लिए जानी जाती है।
- देवी लक्ष्मी: धन और समृद्धि की देवी, जिनका विवाह भगवान विष्णु से हुआ था।
- वारुणी मदिरा: यह एक प्रकार की मदिरा है।
- चंद्रमा: चंद्रमा जो भगवान शिव के माथे पर सुशोभित होते हैं, शीतलता और शांति का प्रतीक है।
- शारंग धनुष: यह भगवान विष्णु का दिव्य धनुष है।
- पांचजन्य शंख: यह भगवान कृष्ण का शंख है, जिसे वह अपने सिर पर धारण करते हैं।
- धन्वंतरि देव: आयुर्वेद के देवता और देवताओं के चिकित्सक, जो अमृत लेकर प्रकट हुए थे।
- अमृत: यह अमरता प्रदान करने वाला दिव्य पेय था, जिसे भगवान धन्वंतरि लेकर प्रकट हुए थे।