शिवलिंग पर जल चढ़ाने की सही दिशा और नियम

भारत में शिव मंदिरों की विशेषता और भक्तों की आस्था के बारे में जानें। शिवलिंग पर जल चढ़ाने के सही दिशा और नियमों की जानकारी प्राप्त करें, जिससे आपकी भक्ति का फल पूर्ण हो सके। जानें कि किन दिशाओं में जल चढ़ाना शुभ नहीं है और शिवजी की परिक्रमा के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
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भारत में शिव मंदिरों का महत्व

भारत में अनेक मंदिर हैं, जिनमें से शिवजी के मंदिरों की संख्या सबसे अधिक है। इन मंदिरों में भक्तों की भीड़ हमेशा रहती है। इसका मुख्य कारण यह है कि भोलेनाथ भक्तों की प्रार्थनाओं का शीघ्र उत्तर देते हैं और उनके दुखों को दूर करते हैं।


जल चढ़ाने के नियम

भक्त अक्सर शिवलिंग पर जल अर्पित करते हैं, जिससे शिवजी जल्दी प्रसन्न होते हैं। हालांकि, जल चढ़ाने के कुछ विशेष नियम हैं, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण जल चढ़ाने की दिशा है। आज हम इस दिशा के बारे में चर्चा करेंगे।


जल चढ़ाने के लिए गलत दिशा

शास्त्रों के अनुसार, जब आप शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं, तो ध्यान रखें कि आपका मुंह उत्तर, पूर्व या पश्चिम दिशा में न हो। इन दिशाओं में जल चढ़ाना शुभ नहीं माना जाता है, क्योंकि इससे आपकी भक्ति का पूरा फल नहीं मिलता।


सही दिशा में जल चढ़ाना

दक्षिण दिशा में मुंह करके जल चढ़ाना सबसे अच्छा माना जाता है। यदि आप हर सोमवार या प्रतिदिन इस दिशा में जल चढ़ाते हैं, तो भोलेनाथ आपकी प्रार्थना जल्दी सुनते हैं। जल को इस तरह चढ़ाएं कि वह उत्तर दिशा में गिरे, जिससे आपकी मुराद शिवजी तक जल्दी पहुंचे।


शिव परिक्रमा के दौरान ध्यान देने योग्य बातें

जल अर्पित करने के बाद भक्त शिवलिंग की परिक्रमा करते हैं, लेकिन इस दौरान केवल आधी परिक्रमा करनी चाहिए। ऐसा करने का कारण यह है कि शिवजी को अर्पित किया गया पवित्र जल बहता है, और इसे लांघना पाप माना जाता है। इसलिए, शास्त्रों में आधी परिक्रमा करने की सलाह दी गई है।