शारदीय नवरात्रि में जौ उगाने की विधि और महत्व

शारदीय नवरात्रि का पर्व 22 सितंबर से शुरू हो रहा है, जिसमें जौ बोने की परंपरा का विशेष महत्व है। इस लेख में जानें कि नवरात्रि में जौ क्यों बोए जाते हैं, इसे कैसे उगाया जाता है, और इसके पीछे की धार्मिक मान्यता क्या है। जौ का अंकुरित होना सुख, समृद्धि और देवी दुर्गा की कृपा का प्रतीक माना जाता है।
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शारदीय नवरात्रि में जौ उगाने की विधि और महत्व

जौ बोने की विधि

शारदीय नवरात्रि में जौ उगाने की विधि और महत्व

जौ बोने की विधि

नवरात्रि में जौ कैसे बोएं: शारदीय नवरात्रि का पर्व 22 सितंबर से प्रारंभ हो रहा है, जिसे सभी नवरात्रियों में विशेष महत्व दिया जाता है। इस दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना का महत्व है, साथ ही जौ बोने की परंपरा भी है, जो हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण मानी जाती है। अक्सर यह प्रश्न उठता है कि नवरात्रि में जौ क्यों बोए जाते हैं। आइए जानते हैं इसके पीछे का कारण।

शारदीय नवरात्रि घटस्थापना का मुहूर्त

22 सितंबर को नवरात्रि की कलश स्थापना होगी। इस दिन हस्त नक्षत्र, शुक्ल योग, ब्रह्म योग और सर्वार्थसिद्धि योग का अद्भुत संयोग बन रहा है, जिससे यह दिन कलश स्थापना के लिए अत्यंत शुभ है। कलश स्थापना का सही समय सुबह 6 बजे से 8 बजे तक है, इसके बाद अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:49 बजे से दोपहर 12:38 बजे तक है। इन समयों में आप कलश स्थापित कर सकते हैं।

नवरात्रि में जौ बोने का महत्व

धार्मिक मान्यता के अनुसार, नवरात्रि में जौ बोना सुख, समृद्धि और संपन्नता का प्रतीक है। कहा जाता है कि सृष्टि की पहली फसल जौ थी और इसका तेजी से अंकुरित होना घर में खुशी और उन्नति का संकेत माना जाता है। नवरात्रि में अंकुरित जौ देवी दुर्गा की कृपा और यज्ञ की सफलता का प्रतीक है। इसके अच्छे अंकुरण से आर्थिक मजबूती और स्वास्थ्य में सुधार का भी संकेत मिलता है।

नवरात्रि में जौ कब उगाएं?

भक्तों के लिए नवरात्रि के दौरान एक गमले में जौ बोने की परंपरा है, जिसे “कलश” या “खेतड़ी” कहा जाता है। यह परंपरा आमतौर पर नवरात्रि के पहले दिन, जिसे प्रतिपदा कहा जाता है, शुरू होती है और जौ को पूरे नौ दिनों तक उगने दिया जाता है।

नवरात्रि में जवारे कैसे बोए जाते हैं?

नवरात्रि में जवारे बोने के लिए निम्नलिखित विधि का पालन करें:-

बर्तन और मिट्टी: एक मिट्टी का बर्तन या थाली लें और उसमें साफ मिट्टी भरें। सुनिश्चित करें कि मिट्टी में कंकर न हों।

मिट्टी में नमी: मिट्टी में हल्का पानी डालकर उसे गीला करें, क्योंकि नमी वाली मिट्टी में जौ जल्दी अंकुरित होते हैं।

जौ भिगोएं: जौ के दानों को रात भर पानी में भिगो दें। इससे अंकुरण तेजी से होगा और जवारे घने होंगे।

जौ बिखेरें: भीगे हुए जौ के दानों को मिट्टी के ऊपर फैला दें। अधिक जौ डालें और यह न सोचें कि वे बहुत पास-पास उगेंगे।

मिट्टी से ढकें: जौ के दानों के ऊपर हल्की मिट्टी की परत डालें, ताकि जौ ढक जाएं, लेकिन ज्यादा मिट्टी न डालें।

पानी का छिड़काव: जल को सीधे डालने के बजाय, अपने हाथों में पानी लेकर हल्के-हल्के छींटे दें।

देखभाल और पूजा: जवारे बोने के बाद रोजाना उन्हें थोड़ा-थोड़ा पानी दें। कलश की तरह ही जवारे की पूजा की जाती है और इस पर रोली चंदन से तिलक भी किया जाता है।

नवरात्रि में बोए हुए जौ का क्या करें?

नवरात्रि में बोए गए जौ, जिन्हें ‘जवारे’ भी कहा जाता है, पूजा के बाद मिट्टी से निकालकर शुभ माने जाते हैं। आप कुछ जौ को घर की तिजोरी या पर्स में रख सकते हैं, जिससे धन-समृद्धि आती है। बचे हुए जौ को नदी में विसर्जित कर देना चाहिए या मिट्टी में दबा देना चाहिए, क्योंकि ये मां दुर्गा की कृपा का प्रतीक माने जाते हैं।